सार
यूपी के सहारनपुर में छोटी सी उम्र में पिता और कोरोना में मां को खोने वाले 10 साल का शाहजेब भीख मांगकर अपना पेट भर रहा था। लेकिन पल भर में ही उसकी जिंदगी बदल गई। दाने-दाने को मोहताज बच्चा अचानक से करोड़पति बन गया।
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक भीख मांगने वाला 10 साल के बच्चे की रातोंरात जिंदगी बदल गई। छोटी सी उम्र में पिता को खोने औऱ कोरोना काल में मां को खोने के बाद 10 साल का मासूम भीख मांगकर अपना पेट भर रहा था। दाने-दाने को मोहताज ये बच्चा अचानक से करोड़पति बन गया। सड़कों पर सर्द रात बिताने को मजबूर बच्चा अब अपने घर में चैन की नींद सो सकेगा। बता दें कि बच्चे को उसके दादा ने वसीयत में आधी जायदाद दे दी है। जिसके बाद अब वह करोड़ों का मालिक बन गया है। रुड़की के पिरान कलियर में भीख मांग कर गुजारा करने और बेसहारा घूमने वाले 10 साल के शाहजेब को उसका खोया हुआ परिवार मिल गया। सहारनपुर में शाहजेब लाखों की पुश्तैनी जायदाद का मालिक भी बन गया है।
पति की मौत के बाद बेटे को लेकर चली गई थी महिला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सहारनपुर के पंडोली गांव में रहने वाली इमराना के पति मोहम्मद नावेद की असमय मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद साल 2019 में ससुराल वालों से विवाद के चलते इमराना अपने 8 साल के बेटे को लेकर मायके यमुनानगर चली गई थी। इस दौरान ससुरालीजनों ने उसे काफी मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद वह शाहजेब को लेकर कलियर चली गई। परिवार वालों ने उसे खोजने की भी कोशिश की। लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। इमराना के कलियर में रहने के दौरान कोरोना महामारी शुरू हो गई। इमराना की कोरोना से मौत हो गई। मां की मौत के बाद शाहजेब सड़क पर आ गया। वह दुकानों पर बर्तन धो कर और लोगों से भीख मांगकर अपना पेट भरने लगा।
ससुराल वाले बहू-पोते की कर रहे थे तलाश
इधर इमराना के ससुराल वाले उसकी और शाहजेब की फोटो सोशल मीडिया में डाल कर उनको तलाश कर रहे थे। इसी बीच शाहजेब के छोटे दादा शाह आलम के दूर का रिश्तेदार मोबिन कलियर गए थे। उन्होंने बाजार में शाहजेब को देखा तो उसका मिलान कर शाह आलम को जानकारी दी। वहीं पोते के मिलने की खबर सुनकर शाह आलम कलियर आए और शाहजेब को अपने साथ सहारनपुर ले आए। मोहम्मद याकूब को बेटे की मौत और बहू-पोते के घर से चले जाने का गहरा सदमा लगा था। उनकी दो साल पहले मौत हो चुकी थी। हिमाचल प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में मोहम्मद याकूब शिक्षक थे। वह अपनी मौत से पहले शाहजेब को खोजने की कोशिश करते रहे।
दादा ने पोते को दी आधी जायदाद
शाहजेब के नहीं मिलने पर उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब भी उनका पोता वापस आएगा तो उनका पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन उसको दी जाएगी। आधी जायदाद पोते के नाम करने के बाद मोहम्मद याकूब ने आधी जायदाद अपनी आधी बची जायदाद दूसरे बेटे जावेद के नाम कर दी थी। बता दें कि जावेद अपने परिवार के साथ सहारनपुर में ही रहता है। वहीं दादा की वसीयत मिलने के बाद भीख मांगकर अपना गुजारा करने वाले शाहजेब की जिंदगी बदल गई। अब उसे पहले की तरह न तो सड़कों पर रातें गुजारनी पड़ेंगी और न ही लोगों से भीख मांग कर अपना गुजारा करना पड़ेगा।