सार
शिखा के पिता सुभाष पांडेय श्रीगणेश राय पीजी कालेज डोभी से शिक्षा प्राप्त कर गोवा चले गए थे। गोवा में ही सेंट्रल स्कूल में अध्यापक बनकर होनहार बेटी को वहीं पढ़ाना शुरू कर दिया। बहादुर बेटी के सिर पर क्रिकेट का ऐसा जुनून सवार हुआ कि वह भारतीय महिला क्रिकेट
जौनपुर (Uttar Pradesh)। महिला टी-20 क्रिकेट वर्ल्डकप के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने वाली शिखा पांडेय चंदवक के मचहटी गांव की निवासी हैं। बहादुर बेटी के सिर पर क्रिकेट का ऐसा जुनून सवार हुआ कि वह एयरफोर्स में आफिसर की नौकरी छोड़कर किक्रेटर बन गई। वो आज आल राउंडर क्रिकेटर हैं। हम आपको शिखा पांडेय के बचपन से लेकर क्रिकेटर बनने तक की जानकारियां दे रहे हैं।
बीटेक की छोड़ दी पढ़ाई
शिखा पांडेय ने वैसे तो पांच साल की उम्र में ही क्रिकेट में रूचि दिखाती थी, लेकिन शिक्षक पिता उनकी पढ़ाई में ध्यान देते थे। नतीजन वह पढाई में भी अव्वल रही। गोवा यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद वर्ष 2010 में शिखा का कैंपस सलेक्शन हो गया था, लेकिन क्रिकेट के जुनून ने उसे जाने नहीं दिया।
नौकरी मिलने पर परिवार से मांगा था एक साल
वर्ष 2011 में भारतीय एयर फोर्स में ग्राउंड आफिसर के पद पर नौकरी मिल गई, लेकिन क्रिकेट का ऐसा जुनून सिर पर सवार था कि नौकरी पर नहीं गई। परिवार वालों के सामने नम्रता पूर्वक बोली कि बस मुझे एक साल और क्रिकेट खेलने के लिए दिया जाए। फिर क्या, पिता ने हरी झंडी दिखा दी और खेल की इस दीवानी ने गोवा क्रिकेट एसोसिएशन में प्रवेश ले लिया।
एक मौका मिला और कभी पीछे नहीं देखा
वेस्टइंडीज टीम खेलने भारत आई तो शिखा पांडेय का चयन भारतीय टीम में हो गया। इसके बाद इस बाला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2014 में बांग्लादेश मे टी-20 खेलने का मौका मिला। वहां से लौटने के बाद वर्ष 2014 में ही जुलाई अगस्त में बैंकाक के थाईलैंड में एशिया कप खेली। वर्ष 2017 में टीम इंडिया के श्रीलंका से लौटने के बाद बेहतर प्रदर्शन के चलते महिला क्रिकेट विश्व कप के लिए चयन हो गया। शिखा के परिवार से जुड़े लोग बताते हैं कि वो टेस्ट के अलावा तीस से ज्यादा वन-डे मैच खेल चुकी हैं।
एयर फोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट हैं शिखा
एयर फोर्स में ग्राउंड आफिसर की नौकरी छोड़ने वाली शिखा ने परिवार की भी इच्छा पूरी की। क्रिकेटर बनने के साथ ही वो इस समय भारतीय एयर फोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट हैं।