सार

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई 60 बच्चों की मौत में आरोपी बनाए गए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को मिली क्लीन चिट में नया मोड़ आ गया है।

गोरखपुर (Uttar Pradesh). बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई 60 बच्चों की मौत में आरोपी बनाए गए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को मिली क्लीन चिट में नया मोड़ आ गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने कहा, डॉ. कफील ने रिपोर्ट का गलत निष्कर्ष निकाला है। बता दें, इससे पहले कफील ने मीडिया से बातचीत में कहा था, सरकार की तरफ से उन्हें क्लीन चिट मिल गई है। उन्हें रिपोर्ट की कॉपी भी सौंप दी गई है, जिसमें सीएम योगी ने माना कि वो निर्दोष हैं। 

डॉ. कफील को सिर्फ इस मामले में मिली क्लीन चिट
मृत्युंजय कुमार ने एक बयान में कहा है, यह कहना सही नहीं कि डॉ. कफील को विभागीय जांच में क्लीन चिट मिल गई है। उन्होंने रिपोर्ट का गलत निष्कर्ष निकाला है। उनके खिलाफ अभी विभागीय जांच चल रही है और अंतिम कार्रवाई बाकी है। 

वहीं, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दूबे ने कहा, डॉ. कफील के खिलाफ विभागीय जांच जारी है। उन्हें 100 बेड के एईएस वार्ड के नोडल ऑफिसर मामले में क्लीनचिट मिली है। उनके खिलाफ अभी भी कई गंभीर मामले हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

क्या है पूरा मामला
बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में साल 2017 में 7 से 12 अगस्त के बीच 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। आरोप है कि ये मौतें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने की वजह से हुई। मामला सामने आने के बाद बीआरडी कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को 12 अगस्त को सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने कहा था, मैंने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए सस्पेंशन से पहले ही इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद 13 अगस्त को योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा। इसी दिन हॉस्प‍िटल के सुपरिंटेंडेट और वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर कफील खान को उनके पद से हटा दिया गया। मामले में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्र, उनकी पत्‍‌नी और इंसेफलाइटिस वार्ड के इंचार्ज डॉ. कफील खान समेत 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। 

कफील ने इस जांच रिपोर्ट का किया था खुलासा
डॉ. कफील ने बताया था कि उनको मिली रिपोर्ट के अनुसार, मामले की जांच कर रहे प्रमुख सचिव टिकट और पंजीकरण विभाग हिमांशु कुमार को यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 18 अप्रैल को 15 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें कहा गया था कि कफील लापरवाही के दोषी नहीं थे। उन्होंने 10-11 अगस्त, 2017 की रात को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी कोशिश की थी। उन्होंने अपने सीनियर्स को भी ऑक्सिजन की कमी के बारे में बताया था। यही नहीं, व्यक्तिगत क्षमता में सात ऑक्सिजन सिलेंडर भी दिए थे। कफील अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस में शामिल थे, लेकिन उसके बाद नहीं। कफील घटना के दिन इन्सेफेलाइटिस वार्ड के नोडल मेडिकल प्रभारी भी नहीं थे। न ही ऑक्सीजन सप्लाई के टेंडर आवंटन प्रक्रिया में वह किसी भी तरह शामिल थे।

डॉ. कफील ने की थी दोषी को सजा दिलाने की मांग
निर्दोष साबित होने के बाद डॉक्टर खान ने इसे अपनी जीत बताते हुए सरकार से मांग की है कि उन्हें नौकरी पर बहाल किया जाए। साथ यह भी बताया जाए कि उस वक्त मेडिकल कॉलेज में इन्सेफेलाइटिस से पीड़ित करीब 70 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है?