सार

किसान जितेंद्र राय बताते हैं कि इसके पहले भी वह कई बार कार्गो के माध्यम से अपने खेतों के टमाटर, मिर्च और मटर खाड़ी देशों में भेज चुके हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इन सब्जियों का रेट जिले की मंडियों के रेट का डबल मिल जाता है। अगले खेप का ऑर्डर भी जल्द ही मिलने वाला है।

गाजीपुर (Uttar Pradesh) । लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में कैद हैं। कई स्थानों पर किसानों की हरी सब्जियां खेतों में खराब हो रही हैं। वे प्रशासन की मदद से मंडियों तक पहुंच पा रही हैं, फिर भी उसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। लेकिन, गाजीपुर से 40 किमी दूर भांवरकोल के लोचईन गांव में एक किसान के खेत में तैयार 15 क्विंटल मिर्च और 5 क्विंटल लौकी को सात समुंदर पार यानी इंग्लैंड तक पहुंच चुकी है। हालांकि यह सब वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय नई दिल्ली एपीडा की पहल पर हो सका है। बता दें कि गाजीपुर से नई दिल्ली तक पहुंचाने के लिए वातानुकूलित वाहन की भी व्यवस्था की गई।

वैज्ञानिक तरीकों से खेती करते हैं जितेंद्र
भावर कोल ब्लॉक के लोचाइन गांव के रहने वाले जितेंद्र राय किसान हैं। वो परंपरागत खेती को वैज्ञानिक तरीकों से और मानक के अनुसार करते हैं। इसके लिए मंत्रालय के द्वारा एक मानक तय किया गया है। उसी मानक के आधार पर इन सब्जियों की एक्सपोर्ट क्वालिटी देखकर कार्गो तक भेजा जाता है।

ऐसे इंग्लैंड पहुंची सब्जियां
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय नई दिल्ली ने 21 अप्रैल को वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने गाजीपुर की 1,500 किलो हरी और ताजी मिर्च तथा 500 किलो ताजी लौकी की डिमांड की थी। ये सब्जियां नई दिल्ली एयरपोर्ट से लंदन कार्गो तक जानी थी, जिसके लिए एपीडा ने वातानुकूलित वाहन की भी व्यवस्था की गई। इसके बाद वाहन गाजीपुर मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर भांवरकोल के लोचईन गांव पहुंचा। यहां से 3 दिन पहले जितेंद्र राय के खेतों की लौकी और हरी मिर्च को लेकर दिल्ली तक पहुंचाया, जो अब इंग्लैंड पहुंच चुका है।

किसान ने कही ये बातें
किसान जितेंद्र राय बताते हैं कि इसके पहले भी वह कई बार कार्गो के माध्यम से अपने खेतों के टमाटर, मिर्च और मटर खाड़ी देशों में भेज चुके हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इन सब्जियों का रेट जिले की मंडियों के रेट का डबल मिल जाता है। उन्होंने बताया कि अगले खेप का ऑर्डर भी जल्द ही मिलने वाला है।