सार
महिला को भूंसे के ढेर में लावारिस नवजात बच्ची खून से लथपथ रोती हुई मिली थी। उस महिला के भी कोई संतान नहीं थी इसलिए उसने इसे गोद लेना चाहा। लेकिन इलाज के दौरान नवजात बच्ची ने दम तोड़ दिया।
आगरा(Uttar Pradesh ). एक औरत के लिए सबसे बड़ा सुख उसकी गोद भरना माना जाता है। सालों से सूनी गोद भरने की आस में मंदिरों मजारों का चक्कर लगाने वाली महिला को अचानक एक लावारिस नवजात मिली तो उसने उसे ईश्वर का आशीर्वाद समझा। लेकिन एक खबर ने उसके इन सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। इस खबर ने उसे अंदर तक झकझोर दिया और आंखों में आंसुओं का सैलाब बहने लगा।
मामला आगरा के खेरागढ़ थाना क्षेत्र के गांव महुआखेड़ा गांव का है। यहां रहने वाली रजनी की शादी सालों पहले हुई थी। लेकिन उसे कोई संतान नहीं थी। संतान की चाहत में रजनी ने तमाम डॉक्टरों को दिखाया लेकिन उसकी चाहत पूरी नहीं हुई। इसके बाद रजनी मंदिरों और मजारों चक्कर लगाने लगी। शनिवार सुबह रजनी घर से थोड़ी दूर खेत में बने अपने एक कमरे से भूंसा लेने गई थी। तभी उसे किसी बच्ची के रोने की आवाज सुनाई पड़ी। रजनी वहां गयी तो उसे खून से लथपथ एक नवजात बच्ची मिली। वह उसे लेकर घर आई लेकिन बच्ची ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी।
अस्पताल में कराया गया नवजात को भर्ती
रजनी अपने पति के साथ बच्ची को लेकर अपस्ताल पहुंची। मगर उसके इलाज के बजाय लावारिस जान कर पहले पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने बच्ची को लेडी लायल अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन उसकी हालत गंभीर होती जा रही थी। वहां से उसे एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में भेज दिया गया।
सोमवार को मिली सूचना से रजनी हुई बदहवास
रजनी को जब लावारिस मासूम मिली तो उसने इसे ईश्वर का आशीर्वाद समझा। उसने उस नवजात को गोद लेने के सपने संजो लिए। पुलिस ने भी बच्ची के ठीक होने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत उसे बच्ची देने की बात कही। इसलिए रजनी उसके इलाज के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही थी। लेकिन सोमवार को डॉक्टरों ने बच्ची की मौत की खबर दी तो रजनी के सारे अरमान एक पल में टूट गए। वह बदहवास सी हो गई और उसके आँखों से आंसुओं का सैलाब बहने लगा।