सार

हाई स्कूल टॉप करने वाले गोरखपुर के आकाश निषा के पिता कन्हैया चौरी चौरा बाजार में ही गोलगप्पा का ठेला लगाते हैं। 94 प्रतिशत अंक पाकर आकाश ने पूरा गोरखपुर जिला टॉप किया है।

गोरखपुर:  गरीबी और संसाधन की कमी प्रतिभा की राह में रोड़ा नहीं बन सकती है। यह साबित किया है चौरी चौरा के लाल आकाश निषाद ने पानी-पूरी बेच कर पेट पालने वाले के इस बेटे ने अपने पिता और क्षेत्र ही नहीं जिले का मान भी बढ़ाया है। विपरीत परिस्थितियों में उसने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा में जिला टाप करने में सफलता पाई है। चौरा चौरा के जीपीएस इंटर कालेज में पढ़ने वाले आकाश को इस परीक्षा में करीब 94 प्रतिशत अंक मिले हैं।

पढ़ाई के प्रति आकाश का था लगाव
चार भाई बहनों में सबसे छोटे आकाश के पिता कन्हैया चौरी चौरा बाजार में ही पानी-पूरी का ठेला लगाते हैं। उनके दो बड़े भाई भी इसी कार्य में पिता की मदद करते हैं। इन परिस्थितियों में पढ़ाई के प्रति रुझान कैसे हुआ? इस सवाल के जवाब में आकाश बताते हैं कि वह शुरू से पढ़ाई में अच्छे थे। कक्षा आठ में जब अच्छे अंक मिले तो पिता का उत्साह बढ़ा और उन्होंने आकाश को पढ़ाने का फैसला लिया।

हौसलों को मिले पंख
पैसे की तंगी के बावजूद पढ़ाई को लेकर आकाश की हर मांग पूरी करते रहे। पिता की इसी प्रतिबद्धता के चलते आकाश को सफलता का यह शानदार पड़ाव हासिल हुआ है। आकाश बताते हैं कि उन्हें 95 प्रतिशत से अधिक अंक पाने की उम्मीद तो थी, लेकिन जिला टॉप करने की नहीं। परीक्षा के दौरान दुर्घटना में ऊंगली टूट जाने की वजह से उनके एक-दो प्रतिशत कम हो गए, ऐसा आकाश का कहना है। फिर भी इस सफलता से उनके हौसलों को उड़ान मिली है।

इंटर और हाईस्कूल में छोटे जिलों का रहा दबदबा
दसवीं और बाहरवी में आसपास के जिलों का दबदबा रहा। दसवीं में कानपुर तो बाहरवीं में फतेहपुर के मेधावियों ने लकीर खींच दी। वहीं दूसरी ओर महानगरों की बात करें तो प्रयागराज से पांच, मुरादाबाद से दो और लखनऊ-वाराणसी से एक-एक मेधावी ही टॉप टन में स्थान बना सका है। दसवीं की टॉप दस की सूची में 27 मेधावी हैं। जिसमें से 11 महानगरों के हैं। कानपुर नगर से सात, मुरादाबाद व वाराणसी से एक-एक, प्रयागराज से दो छात्र-छात्राएं शामिल है। बाकी 16 टॉपर अन्य दस छोटे जिलों से है। वहीं दूसरी ओर बाहरवीं की टॉप दस की सूची में 28 मेधावी शामिल हैं। जिसमें से सिर्फ सात महानगरों से है और बाकी 21 मेधावी 10 छोटे जिलों से हैं। छोटे जिले के अलावा महानगरों के टॉपरों में प्रयागराज से तीन, मुरादाबाद से दो व कानपुर नगर और लखनऊ से सिर्फ एक-एक मेधावी शामिल है।  

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