सार

यूपी बोर्ड की गलतियों का खामियाजा छात्र-छात्राएं भुगत रही हैं। अंक रहित अंक पत्र दिए जाने के चलते मामले में पीड़ित विद्यार्थी दर-दर भटक रहे हैं। उनका सब्र अब जवाब देने लगा है। 

आगरा: जनपद में यूपी बोर्ड की गलती का खामियाजा छात्र-छात्राएं भुगत रही हैं। यहां अंक रहित अंक-पत्र दिए जाने से नाराज पीड़ित विद्यार्थियों का सब्र जवाब देता दिखाई पड़ रहा है। उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से नाराज छात्रों ने समस्या का समाधान न होने पर कलेक्ट्रेट पहुंचकर गुहार लगाई। यहां उनके द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाकर सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर संबोधित एक ज्ञापन डीएम प्रभु एन सिंह को सौंपा गया। 

पीड़ितों ने डीएम को बताई व्यथा
विद्यार्थियों ने बाल अधिकार एक्टीविस्ट नरेश पारस की अगुवाई में उन्होंने अपनी व्यथा डीएम को बताई। इसी के साथ हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए और अपने भविष्य को बचाने की गुहार भी लगाई। मामले को लेकर पीड़ित छात्रों ने बताया कि उनके जैसे तकरीबन डेढ़ हजार विद्यार्थी ऐसे हैं जिनके अंक-पत्र अंक रहित हैं। बोर्ड की ओर से उन्हें प्रमोटेड लिखकर कोरी मार्कशीट थमा दी गई है। 

समस्या बताते हुए भावुक हुए छात्र-छात्राएं

डीएम के पास पहुंची छात्राओं ने भावुक होते हुए कहा कि हाईस्कूल की बिना अंक वाले अंक-पत्र मिलने की वजह से वह मेरिट सूची से बाहर हो जाएंगी। इसी के साथ वह महाविद्यालयों में  प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षा की मेरिट सूची की पात्रता से भी वंचित हो जाएंगी। उन्होंने गुहार लगाई की ही उन्हें अंक दिलवा दिए जाए। मामले में डीएम ने उन्हें राहत दिलाने का आश्वासन दिया है। मामले को लेकर एक्टीविस्ट नरेश पारस ने जानकारी दी कि सत्र 2020-21 में यूपी बोर्ड ने आंतरिक और प्री-बोर्ड परीक्षा के अंकों के आधार पर छात्र-छात्राओं को अंक दिए। जिन स्कूलों से अंक मिले, उनके विद्यार्थियों को अंक दे दिए गए हैं, जिन स्कूलों ने अंक नहीं भेजे, उन्हें बिना अंक वाले अंक-पत्र मिले। हालांकि इसको लेकर स्कूल संचालक कह रहे हैं कि उन्होंने अंक बोर्ड को भेजे हैं। यहां बोर्ड की गलती का खामियाजा छात्र-छात्राएं भुगत रहे हैं। 

छात्रों का इंतज़ार हुआ खत्म, यूपी बोर्ड रिजल्ट को लेकर आधिकारिक डेट आई सामने