सार
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि डिजिटल वॉर में सपा, भाजपा से कतई पीछे नहीं है। पार्टी की वर्चुअल बैठकें हो रही है। इनमें जमीनी स्तर तक के कार्यकर्ताओं से बेहतर संवाद स्थापित किया जा रहा है। पार्टी की रणनीति साझा करने में डिजिटल प्लेटफार्म की अहमियत सामने आ रही है। वहीं फेसबुक,यू ट्यूब और व्हाट्सएप के जरिये पार्टी की हर छोटी बड़ी घटना अथवा जानकारी को साझा किया जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत अन्य पदाधिकारी लंबे समय से ट्विटर पर सक्रिय है।
लखनऊ: देश की राजनीति की दिशा तय करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना (Corona) संकट के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव (Vidhan sabha Chunav) में वर्चुअल माध्यमों से चुनाव प्रचार करने की अनिवार्यता के कारण राजनीतिक दलों के तकनीकी युद्ध कौशल की भी कड़ी परीक्षा हो रही है। वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) की तीसरी लहर के कारण चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक सभाओं और रैली आदि पर पाबंदियों के चलते सात चरणों में संपन्न होने वाले चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका निर्णायक हो चुकी है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP),आम आदमी पार्टी (AAP),समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस (Congress) ने सूचना प्रौद्योगिकी की अहमियत को समझते हुये अपने पार्टी मुख्यालयों पर बाकायदा वार रूम बना रखे हैं। इनमें तकनीक और राजनीति के जानकारों की प्रशिक्षित टीमें मौजूद है। इनकी मदद से व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम में बूथ स्तर तक बने सैकड़ों हजारों ग्रुप के जरिये मतदाताओं के दिलो दिमाग पर कब्जा करने की रणनीति पर सलीके से काम चल रहा है। डिजिटल वार में हालांकि भाजपा ने अन्य दलों की अपेक्षा बढ़त बना रखी है। इस बात को हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (AKhilesh Yadav) ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करते हुये कहा था कि डिजिटल लड़ाई में भाजपा फिलहाल काफी आगे है।
डिजिटल वॉर में सपा नहीं भाजपा से पीछे
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार सपा अध्यक्ष के ईमानदार स्वीकरोक्ति को इस लिहाज से समझा जा सकता है कि भाजपा ने पांच साल पहले ही डिजिटल प्रचार और खुद को वर्चुअल संवाद के तौर पर खड़े करने की बुनियाद रख दी थी। इसके लिये पार्टी ने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी करना शुरू कर दिया था जिसका परिणाम आज चुनाव में साफ दिख रहा है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि डिजिटल वॉर में सपा, भाजपा से कतई पीछे नहीं है। पार्टी की वर्चुअल बैठकें हो रही है। इनमें जमीनी स्तर तक के कार्यकर्ताओं से बेहतर संवाद स्थापित किया जा रहा है। पार्टी की रणनीति साझा करने में डिजिटल प्लेटफार्म की अहमियत सामने आ रही है। वहीं फेसबुक,यू ट्यूब और व्हाट्सएप के जरिये पार्टी की हर छोटी बड़ी घटना अथवा जानकारी को साझा किया जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत अन्य पदाधिकारी लंबे समय से ट्विटर पर सक्रिय है।
सोशल मीडिया से बदल सकते हैं राजनीतिक हवा का रूख
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा विधानसभा चुनाव में फेसबुक लाइव,यू ट्यूब,इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की भूमिका किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में हवा बनाने में महत्वपूर्ण हो सकती है। भाजपा,आप,सपा और कांग्रेस ने तो बाकायदा अपने डिजिटल वार रूम बना रखे है जहां उनकी आईटी सेल की टीम इन संसाधनो का बेहतरीन इस्तेमाल कर रही है वहीं कई छोटे दलों ने अपनी इस मुहिम को परवान चढ़ाने के लिये डिजिटल वज्ञिापन एजेंसियों की मदद ली है। ये एजेंसियां न सर्फि यू ट्यूब लाइव के लिये जरूरी न्यूनतम एक हजार सब्सक्राइबर बनाने में सहयोग करती है बल्कि एडवरटाइजिंग के जरिये पार्टी विशेष की क्लप्सि को फ्री यू ट्यूब सब्सक्राइबर को देखने के लिये बाध्य करती हैं।