सार

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि मैं यह सपना नहीं देखती कि सीएम बनूंगी। मैं रात को सोने से पहले यह जरूर सोचती हूं कि आज मैं उस महिला से मिली थी उसके साथ ये हुआ था इसलिए कल उसको फोन करके पूछना चाहिए कि क्या हुआ, या मैं किसी के घर कल गई थी तो उनसे पूछना चाहिए कि उनकी परिस्थिति ठीक नहीं है तो मदद करनी चाहिए, यह विषय मेरे सपने और चिंता रहता है। 

लखनऊ: इस बार विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) में सपना एक खास मुद्दा बना हुआ है। सपने को लेकर सभी दलों की  राजनीति लगातार जारी है। सपनों की शुरुआत अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने की तब से अब तक रोज किसी ने किसी नेता को सपने आ रहे हैं। किसी को भगवान दिखाई दे रहे हैं तो किसी मुस्लिम समुदाय। इसी कड़ी में एक और नाम शामिल हुआ है कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का। एक कार्यक्रम के दौरान  प्रियंका ने कहा कि उनके सपने में सीएम बनना है या नहीं ये नहीं आता। उन्होंने कहा मेरे सपने में वो महिला रहती है जिसे कोई दिक्कत है। प्रियंका ने इस दौरान कहा कि उनके सपनों और चिंताओं में वे महिलाएं रहती हैं, जिन्हें कोई दिक्कत है। कांग्रेस नेत्री ने कहा कि मैं यह सपना नहीं देखती कि सीएम बनूंगी। मैं रात को सोने से पहले यह जरूर सोचती हूं कि आज मैं उस महिला से मिली थी उसके साथ ये हुआ था इसलिए कल उसको फोन करके पूछना चाहिए कि क्या हुआ, या मैं किसी के घर कल गई थी तो उनसे पूछना चाहिए कि उनकी परिस्थिति ठीक नहीं है तो मदद करनी चाहिए, यह विषय मेरे सपने और चिंता रहता है। 

डिजिटल मंच पर बीजेपी काफी मजबूत 
कार्यक्रम के दौरान प्रियंका ने ये भी कहा कि डिजिटल मंच पर बीजेपी काफी मजबूत है। प्रियंका  ने अखिलेश की बात का समर्थन करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर भाजपा काफी समय से सोशल मीडिया पर खुद को मजबूत बनाने का काम कर रही है। इस लिहाज से देखा जाए तो डिजिटल रूप से भाजपा को प्रचार-प्रसार करने में आसानी होगी। 

'वर्चुअल रैली के लिए नहीं है इन्फ्रास्ट्रक्चर' 
आपको बता दें कि कोरोना की रोकथाम के लिए देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब चुनावी रैलियों (Election Rallies) पर रोक लगाकर डिजिटल रैलियों (Digital Rally) के निर्देश दिए गए हैं।  चुनाव आयोग ने ये निर्देश दिया है कि 15 जनवरी तक किसी भी पार्टी रैली या रोड शो नहीं होगा। इसके बाद संक्रमण की स्थिति देखते हुए चुनाव आयोग इस निर्देश की समीक्षा करेगा। वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार करने के चुनाव आयोग के इस फरमान पर ओपी राजभर के अलावा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी पहले ही सवाल खड़े कर चुके हैं। चुनाव आयोग ने वर्चुअल रैली करने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना से बचने के लिए यह जरूरी है, लेकिन चुनाव आयोग को उन पार्टियों के बारे में भी सोचना चाहिए जिनके पार कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है, फिर भला वह वर्चुअल रैली कैसे करेंगे। इसलिए चुनाव आयोग को कुछ सहयोग देना चाहिए। चाहे चैनल के माध्यम से, विपक्ष के लोगों को ज्यादा समय दें और मुफ्त में समय दे।

ओपी राजभर भी डिजिटल प्रचार से नाराज हैं 
ओपी राजभर (OP Rajbhar) ने कहा कि हम इलेक्शन कमीशन से मांग करते है कि वह एक सिस्टम बनाए जिसमें सभी दलों को मीडिया के माध्यम से अपनी बात पब्लिक के आगे रखने का मौका मिले। हम पहले ही अपनी बात जनता तक पंहुचा चुके हैं। हमारा संगठन ग्रासरूट लेवल पर तैयार है। हमारी फ़ौज  बस तारीखों के एलान का इंतज़ार कर रही थी। जब दस मार्च की तारीख को वोट गिने जाएंगे। तो पूरी ताकत से अखिलेश यादव सरकार बनाएंगे।  

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