सार
किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 22 नवंबर को लखनऊ में एक किसान महापंचायत करने का निर्णय लिया है। उन्होंने किसान महापंचायत को सफल बनाने के उद्देश्य से दूरदराज के किसानों को लखनऊ पहुंचने का आह्वान किया है।
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कृषि बिल (Farmer Laws) को रद्द करने का फैसला भले ही लिया हो, लेकिन धरने पर बैठ किसान अभी भी इससे चुनावी हतकंडे से ज्यादा कुछ नहीं मान रहा है। राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं लखनऊ जा रहा हूं, 22 तारीख को लखनऊ में महापंचायत (Lucknow Kisan Mahapanchayat) है। कृषि क़ानून वापस हुए है। हमारे सारे मुद्दों में से केवल एक मुद्दा कम हुआ है, बचे हुए मुद्दे अभी बाकी है। किसानों पर दर्ज़ मुकदमें और जिन किसानों की मृत्यु हुई ये मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम- राकेश टिकैत
शनिवार को तीन कृषि कानूनों पर रार खत्म होने के बाद अब किसान नेता राकेश टिकैत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून, बिजली अमेंडमेंट बिल और अन्य मामलों पर डट गए हैं। उन्होंने 22 को लखनऊ में होने वाली पंचायत के असमंजस को भी खत्म कर दिया। किसानों से आह्वान किया कि कोई भी सरकार के भम्र में न रहे क्योंकि किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर तेजी से भम्र फैलाया जा रहा है।
दिल्ली बॉर्डर से नहीं हटेंगे किसान
किसान नेताओं का कहना है कि दिल्ली बॉर्डर से अभी किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा। हमारे पहले से जो कार्यक्रम तय थे, वे अब तय तारीख पर आयोजित होंगे। हम 22 नवंबर को लखनऊ में किसानों की बड़ी रैली होनी है। जबकि 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने पर देशभर में रैली निकालेंगे। इसके साथ ही 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सवार होकर संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे।
इतना मीठा नहीं होना चाहिए पीएम- राकेश टिकैत
राकेश टिकैत ने कहा कि पीएम इतना मीठा भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 750 किसान शहीद हुए, 10 हजार केस दर्ज हैं। बिना बातचीत के कैसे चले जाएं। पीएम मोदी ने इतनी मीठी भाषा का इस्तेमाल किया है कि शहद को भी फेल कर दिया। उन्होंने कहा कि हलवाई को तो ततैया भी नहीं काटता। वह ऐसे ही मक्खियों को उड़ाता रहता है।