सार
बीती 6 जनवरी 2022 को यानी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कार्यालय उत्तर प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा गया, किसानों की सुविधा और समृद्धि के लिए संकल्पित यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निजी नलकूप के लिए विद्युत दरों में वर्तमान दरों के सापेक्ष 50 प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया है।
लखनऊ: एक ओर यूपी के किसान निजी नलकूप के कनेक्शन में मिलने वाली 50 प्रतिशत छूट के इंतजार में बैठे हैं, वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग ऐसी किसी भी प्रकार की छूट से साफ इंकार कर रहा है। बता दें कि पहले भी कई बार इस तरह के चुनावी वादे सामने आ चुके हैं, जो चुनाव के बाद पूरी तरह से खोखले साबित हुए हैं। और जनता ने खुद को ठगा महसूस किया है।
जानिए क्या था चुनावी वादा
बीती 6 जनवरी 2022 को यानी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कार्यालय उत्तर प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा गया, किसानों की सुविधा और समृद्धि के लिए संकल्पित यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निजी नलकूप के लिए विद्युत दरों में वर्तमान दरों के सापेक्ष 50 प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया है।
विभाग के संबंधित अधिकारी ने क्या दिया तर्क
बिजली विभाग के अधिकारी के मुताबिक बिजली बिल में छूट को लेकर कोई आधिकारिक सूचना ही जारी नहीं की गई। जब तक विभाग को इसको लेकर कोई लिखित पत्र जारी नहीं किया जाएगा तब तक हम किसानों को निजी नलकूप कनेक्शन में कोई छूट नहीं दे सकते हैं।
यूपी में ट्यूबेल के कनेक्शन की संख्या
उत्तर प्रदेश में 13,16,399 ट्यूबवेल के कनेक्शन हैं, जिनका लोड 79,41,706 किलोवाट है। चालू वित्तीय वर्ष में ट्यूबवेल कनेक्शन पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा कुल 14,006 मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत बताई गई है, जिसकी लागत लगभग 1845 करोड़ रुपये है।
किसानों के निजी नलकूप कनेक्शन मे बांधे जा रहे मीटर
बाराबंकी में रहने वाले किसान अमोद मिश्रा के मुताबिक छूट तो नहीं मिली है बल्कि मीटर आधारित बिल करके पैसा और बढ़ा दिया गया है। आधा करने के बजाया दोगुना कर दिया गया है। जब बिल माफ करने की बात थी तो निजी नलकूप में मीटर क्यों बांधे जा रहे हैं। बीजेपी सरकार की तरफ से पहले बिजली बिल में झूठ देने की बात कही गई थी। वहीं बाद में चुनाव के ठीक पहले निजी नलकूप के कनेक्शन के बिजली बिल को माफ करने की बात कही गई थी।
बिजली बिल की मार झेल रहे किसान
साथ ही उन्होनें बताया कि इस बार हम लोग पानी ना बरशने की वजह से वैसे ही परेशान हैं। ऊपर से बिजली बिल की मार भी झेल रहे हैं। समय से बिजली भी नहीं मिल पा रही है। बिजली देने का कोई समय निश्चित नहीं है जिससे किसानों को और समस्या हो रही है। सिचाई ठीक से ना हो पाने की वजह से फसल पर भी खास असर पड़ रहा है।
यूपी में किसानों का हर जगर यही हाल है। इसको लेकर कई जगह पर किसानों ने बिजली विभाग के आधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा है। एक किसान ने बताया कि सिचाई फसल के लिए बेहद जरूरी है। मौसम की मार की वजह से फसल की बरबादी तो ही रही है साथ ही निजी नलकूप के बिजली बिल से पहले से ही नुकसान की मार झेल रहे किसान की समस्याएं और बढ़ रही हैं।
मौसम की मार
मौसम विभाग के मुताबिक यूपी में अब तक अनुमान से 55 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस साल 296 मिलीमीटर अब तक बारिश हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन अब तक सिर्फ 132 मिलीमीटर बारिश अब तक रिकॉर्ड की गई है। वहीं 45 जिले ऐसे हैं जहां 100 प्रतिशत बारिश का आंकड़ा मौसम के विपरीत है।
अखिलेश यादव ने उठाए सवाल
भाजपा सरकार और बीजेपी के लोग महंगाई के लिए जिम्मेदार है। भाजपाई कृत्रिम बारिश करवाने की बात कह रहे थे क्या बारिश हुई? विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसानों के ट्यूबवेल का बिजली बिल माफ करने का वादा किया था क्या वादा निभाया गया?
'भाजपा को नहीं किसानों की कोई चिंता'
कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि भाजपा की चिंता किसानों के लिए नहीं किसानों के हत्यारे केंद्रीय मंत्री और उनके बेटों को बचाने की है। इसीलिए जितने वादे चुनाव के समय किसानों से किए गए थे वह सब झूठे निकले, BJP ने कहा था बिजली बिल आधा करेंगे फिर कहा माफ करेंगे और उल्टे हालत यह है कि किसान को दुगना बिजली बिल देना पड़ रहा है, यह भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा है।
सपा के प्रवक्ता राहुल सिंह ने बताया कि यूपी सरकार के दावे न तो पिछली सरकार में पूरे हुए और न ही इस बार पूरे हो पाएंगे। किसानों की दोगुनी आय तो हुई नहीं। ट्यूबेल के कनेक्शन पर मिलने वाली छूट का वादा भी कागजी है।