सार
मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग को लेकर लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के वाद पर गुरुवार को सुनवाई थी। अदालत ने इस मामले में आज वाद दर्ज कर लिया है। इसके बाद शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने याचिका से संबंधित एक प्रति मांगी जो उन्हें उपलब्ध कराई गई अब अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।
मथुरा: भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा की शाही मस्जिद बेहद चर्चा में है। इस शाही मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि से अलग करने की मांग हो रही है। इसके साथ ही शाही मस्जिद ईदगाह के लाउड स्पीकर बंद कराने की मांग भी जोर पकड़ रही है। वहीं ज्ञानवापी मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग पर हुई सुनवाई
मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग को लेकर लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के वाद पर गुरुवार को सुनवाई थी। अदालत ने इस मामले में आज वाद दर्ज कर लिया है। इसके बाद शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने याचिका से संबंधित एक प्रति मांगी जो उन्हें उपलब्ध कराई गई अब अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।
लाउड स्पीकर से अजान बंद कराने की मांग
वहीं मथुरा में ही शाही मस्जिद से लाउडस्पीकर को हटाने की मांग काफी जोर पकड़ रही है। मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में वादी दिनेश शर्मा ने गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर ईदगाह में लाउड स्पीकर से अजान बंद कराने की मांग की है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली एक याचिका पर मथुरा के जिला जज ने गुरुवार को पहली बार सुनवाई की।
सीनियर डिविजन जज ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए एक जुलाई को अगली सुनवाई तय की। यह याचिका 25 सितंबर 2020 में कोर्ट में दाखिल की गई थी, जो अब करीब दो वर्ष बाद तब कोर्ट में सुनी गई, जब जिला अदालत ने आदेश दिया कि यह याचिका तो कोर्ट में दायर किए जाने योग्य है। जिला अदालत ने गुरुवार 26 मई के आदेश की कापी सभी पक्षों को उपलब्ध करवाने की कवायद भी की और अगली सुनवाई एक जुलाई को करने का निर्देश दिया।
यह था पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर याचिका में दावा किया था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ ज़मीन के एक हिस्से पर ही मस्जिद का निर्माण किया गया है।
यहां से हटाकर वह जमीन ट्रस्ट को सौंपी जानी चाहिए। इस याचिका को 30 सितंबर 2020 को सिविल जज ने सुनवाई योग्य न मानकर खारिज कर दिया था अब फिर इस पर सुनवाई की जा रही है।
यूपी बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट आने में लग सकता है इतना समय, जानिए क्या है पूरी वजह
यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं के परिणामों का बेसब्री से इंतज़ार,छात्रों के लिए ज़रूरी अपडेट