सार

गाजियाबाद इंदिरापुरम की रहने वाली सैयद रफत परवीन (41) गुरुवार को जिंदगी की जंग हार गई। 19 दिसंबर को तेज सिर दर्द की शिकायत के बाद परिवार ने विशाली के  मैक्स अस्पताल में भर्ती करवाया था।

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश). मरने के बाद इंसान का ये हाड़-मांस का शरीर जलकर खाक हो जाता है। सिर्फ राख रह जाती है। लेकिन जाते-जाते हम अगर किसी को जिंदगी दे जाएं तो इससे बड़ा और कोई पुण्य नहीं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक 41 साल महिला अपनी मौत के बाद भी चार लोगों की जिंदगी बचा गई।

अंतिम इच्छा से बचाई चार लोगों की जिंदगी
दरअसल, गाजियाबाद इंदिरापुरम की रहने वाली सैयद रफत परवीन (41) गुरुवार को जिंदगी की जंग हार गई। 19 दिसंबर को तेज सिर दर्द की शिकायत के बाद परिवार ने विशाली के  मैक्स अस्पताल में भर्ती करवाया था। डॉक्टरों की तमाम कोशिश के बाद भी रफत की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। शुक्रवार को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। मरने से पहले रफत ने  अपने शरीर के अंगों को दान करने की इच्छा जताई थी। ताकि किसी जरुरतमंद की इंसान की जान बच सके। 

इस बीमारी से पीड़ित थी रफत
रफत की डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि वह ऐन्युरिज्म़ से पीड़ित थी। जिसमें सिर की नसों से खून बहने लगा था। धीरे-धीरे वह दिमाग के दूसरे हिस्सों तक पहुंच रहा था। उसकी लगातार निगरानी की गई, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। 

शरीर से अलग किए ये अंग
मैक्स साकेत के डायरेक्टर ऑफ हार्ट ट्रांसप्लांट डॉ. केवल कृषन ने बताया की रफत के परिवार की रजामंदी के बाद सफल सर्जरी करते हुए शरीर से दिल, किडनी और लिवर को अलग कर लिया गया। इसके बाद चार लोगों को दान कर ट्रांसप्लांट किया गया। जिससे चार लोगों की जान बच गई।