सार

पुष्पराज जैन और अन्य इत्र व्यापारियों के कारोबार में कैश में लेन-देन होता है और इसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता है।  कुंडली खंगालने पर इनकम टैक्स के अधिकारियों को पता चला है कि कंपनी में खुदरा बिक्री का करीब 40 फीसदी कारोबार कैश में ही चलता है।  इतना ही नहीं, रेड में यह बात सामने आई है कि टैक्स चोरी के पैसे से भारत और संयुक्त अरब अमीरात में संपत्तियां खरीदी गईं हैं। 

कन्नौज: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) के कन्नौज कांड (Kannauj IT Raid) की गुत्थी अब सुलझती नजर आ रही है। कन्नौज में इत्र कारोबारी और समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन (Pushpraj Jain) समेत दो अन्य इत्र कारोबारियों के घर जारी छापेमारी के बाद आयकर विभाग (Income Tax department) की टीम ने पुरी कुंडली खंगाल दी है। 

आयकर विभाग (IT Raid News) की टीम ने बयान जारी कर बताया है कि पुष्पराज जैन और अन्य इत्र व्यापारियों के कारोबार में कैश में लेन-देन होता है और इसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता है।  कुंडली खंगालने पर इनकम टैक्स के अधिकारियों को पता चला है कि कंपनी में खुदरा बिक्री का करीब 40 फीसदी कारोबार कैश में ही चलता है।  इतना ही नहीं, रेड में यह बात सामने आई है कि टैक्स चोरी के पैसे से भारत और संयुक्त अरब अमीरात में संपत्तियां खरीदी गईं हैं। 

आयाकर विभाग का दावा: छुपाया गया काला धन
दरअसल, आयकर विभाग ने परफ्यूम निर्माण और रियल एस्टेट के कारोबार में लगे दो समूहों पर 31 दिसंबर को तलाशी व जब्ती अभियान चलाया था। इन समूहों में कन्नौज से समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन और मोहम्मद याकूब मोहम्मद अयूब की कंपनियां शामिल हैं। तलाशी अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश के कन्नौज, कानपुर, नोएडा, हाथरस, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में करीब 40 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई थी।  काफी समय तक चली रेड के बाद आयकर विभाग की टीम ने बताया है कि कैसे हेरफेर करके कालाधन छुपाया जाता था। 

कच्चे बिल के जरिए की जाती थी चोरी
आयकर विभाग के आधिकारिक बयान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और मुंबई में पुष्पराज जैन यानी पम्पी जैन के ठिकानों पर छापेमारी से पता चला कि कंपनी इत्र की बिक्री, स्टॉक और खातों में हेराफेरी करके, लाभ को खर्चो में तब्दील कर टैक्स की चोरी में शामिल है। कंपनी की बिक्री कार्यालय और मुख्य कार्यालय में पाए गए साक्ष्य से पता चला है कि समूह अपनी खुदरा बिक्री का 35% से 40% हिस्सा ‘कच्चा’ बिलों यानी कैश में करता है और इन नकद प्राप्तियों को नियमित पुस्तकों में दर्ज नहीं किया जाता है। पता चला है कि खाते में करोड़ों रुपये चल रहे हैं। फर्जी पार्टियों से लगभग 5 करोड़ रुपये का भी पता चला है। 

इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि हेरफेर करके, लाभ को खर्च में बदलकर आदि तरीके से उत्पन्न बेहिसाब आय को मुंबई स्थित विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया जाता है। इतना ही नहीं, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दोनों में संपत्तियों को इसी टैक्स चोरी की आय से खरीदा गया है। यह भी पता चला है कि समूह ने करोड़ों रुपये की कर की चोरी की है। स्टॉक-इन-ट्रेड को पूंजी में बदलने पर 10 करोड़ रुपये की आय की घोषणा नहीं की गई है। समूह ने करोड़ो रुपये की आय की घोषणा भी नहीं की है। 

16 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध शेयर पूंजी
आयकर विभाग को रेड दौरान ऐसे कुछ अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि समूह के प्रमोटरों ने कुछ शेल कंपनियों को भी शामिल किया है और ये शेल कंपनियां भारतीय प्रमोटरों द्वारा चलाई और प्रबंधित की जाती हैं। हालांकि, ऐसी शेल कंपनियों को उनके संबंधित आयकर रिटर्न में सूचित नहीं किया गया है। ऐसी दो शेल कंपनियों के जरिये संयुक्त अरब अमीरात में एक-एक विला के मालिक होने का पता चला है। यानी ये कंपनियां उन पतों पर रजिस्टर की गई थीं। यह भी पता चला है कि संयुक्त अरब अमीरात से समूह की शैल कंपनियों में से एक ने कथित तौर पर समूह की एक भारतीय इकाई में 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध शेयर पूंजी पेश की है। 
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