सार

 यह दुखभरी कहानी है गोरखपुर शहर की रहने वाली शिप्रा दीक्षित की। जो कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर डिपो में बस कंडक्टर है। महिला की हालत पर यात्रियों को तो तरस आ जाता है, लेकिन विभाग के अफसरों को नहीं आता।


गोरखपुर (उत्तर प्रदेश). बसों में अक्सर पुरुषों को टिकट काटते देखा जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक महिला रोडवेज की बस में कंडक्टर है। लेकिन इस वक्त वह अपनी पांच महीने की बच्ची को गोद में लेकर रोज 165 किलोमीटर का सफर तय कर रही है। क्योंकि विभाग के बड़े अफसरों को महिला ने चाइल्ड केयर लीव (CCL)के लिए आवेदन दिया था, जिसे ठुकरा दिया है।

यात्रियों को तरस आता, लेकिन अफसरों को नहीं आता
दरअसल, यह दुखभरी कहानी है गोरखपुर शहर की रहने वाली शिप्रा दीक्षित की। जो कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर डिपो में बस कंडक्टर है। उसे अपनी नौकरी से कोई शिकायत नहीं है, उसने खुद अपनी मर्जी से इस पेशे को चुना है। लेकिन इस वक्त वह जिस दर्द से गुजर रही है उसकी विनती कोई नहीं सुन रहा है। कड़ाके की ठंड होने के बाद भी बेटी को साथ रखना उसकी मजबूरी है। क्योंकि घर में और कोई महिला नहीं है जो उसकी देखभाल कर सके। महिला की हालत पर यात्रियों को तो तरस आ जाता है, लेकिन विभाग के अफसरों को नहीं आता। इसलिए तो उसकी चाइल्ड केयर लीव अप्रूव नहीं कर रहे।

पढ़ाई की योग्यता के हिसाब से नहीं मिली नौकरी
बता दें कि शिप्रा दीक्षित ने यूपी परिवहन निगम में बस कंडक्टर की नौकरी 2016 में अपने पिता पीके सिंह के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति हुई है। पीके सिंह  परिवहन निगम में सीनियर एकाउंटेंट थे। लेकिन उनकी बेटी को उसकी योग्यता के अनुसार पद नहीं मिला है। शिप्रा ने साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन किया हुआ है। उसका कहना है कि मुझे यह नहीं समझ आता कि इतना पढ़े लिखे होने के बाद भी कंडक्टर की जॉब दी गई। मेरी मजबूरी थी यह नौकरी करना, क्योंकि घर में और कमाने वाला नहीं था। लेकिन  ना तो मुझे बाद में कोई प्रमोशन मिल पाया है और ना ही अब उसे CCL लीव मिल रही है। 

बेटी को भूख लगती, लेकिन नहीं पिला पाती दूध
शिप्रा का कहना है कि बस में रोज इतना लंबा सफर करने में परेशानी होती है। कई बार तो बेटी की तबीयत खराब हो गई, फिर भी अफसर छुट्टी नहीं दे रहे हैं। इतना ही नहीं  बच्‍ची को गोद में लेकर टिकट काटने और रुपए लेन-देन में भी दिक्‍कत आती है। बेटी को बीच में भूख लगती है तो वह उसे दूध भी नहीं पिला पाती हैं। उनका कहना है कि वह प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से भी गुहार लगा रही हैं ताकि उनको योग्यता और पिता के पद के अनुसार नौकरी दी जाए।

पति एक साफ्टवेयर कंपनी में करते हैं काम
बता दें कि बस  कंडक्टर शिप्रा के पति नीरज कुमार हैं जो दिल्‍ली की एक साफ्टवेयर कंपनी में काम करते रहे हैं। फिलहाल वह लॉकडाउन के बाद से घर पर रहते हैं। पति का कहना है कि बेटी को बस में ले जाने से हवा के चलते उसकी कई बार तबीयत खराब हो गई, लेकिन  अधिकारी हैं कि सुनते ही नहीं।