सार
2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो बसपा (BSP) को केवल 19 सीटें मिलीं थीं, माना जा रहा था कि बसपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में 25 से 30 सीटें जीतने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन गुरुवार को आए बसपा के नतीजों ने सबको चौंका के रख दिया है। बसपा को अपना खाता खोलने के लिए भी पूरा जोर लगाना पड़ा है। दरअसल जानकारों के मुताबिक बसपा के चुनाव में इस प्रदर्शन के पीछे पांच खास कारण रहे हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव परिणाम आ गया है। शुरुआत से ही बसपा को 2022 के चुनाव में गेम चेंजर के रूप में लिया जा रहा था। लेकिन परिणाम बिल्कुल अलग देखने को मिले हैं। 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो बसपा को केवल 19 सीटें मिलीं थीं, माना जा रहा था कि बसपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में 25 से 30 सीटें जीतने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन गुरुवार को आए बसपा के नतीजों ने सबको चौंका के रख दिया है। बसपा को अपना खाता खोलने के लिए भी पूरा जोर लगाना पड़ा है। दरअसल जानकारों के मुताबिक बसपा के चुनाव में इस प्रदर्शन के पीछे पांच खास कारण रहे हैं।
मायावती का देर से सभाएं शुरु करना
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव में एक तरफ सभी पार्टी बीते 3 महीने से मैदान में उतर कर जनता को साधने का प्रयास कर रही थी। वहीं बसपा की तरफ से जनता तक पहुंचने का कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा था। पहले चरण का चुनाव शुरु होने के बाद मायावती ने रैली करना सभा शुरु किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
BSP में मायावती के अलावा कोई दूसरा बड़ा चेहरा न होना
बीएसपी में मायावती के अलावा कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं था। यह पूरे चुनाव में देखने को मिला है। BSP के राष्टीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने भी कमान संभालने की पूरी कोशिश की लेकिन अकेले पूरे यूपी का चुनाव देख पाना उनके अकेले बस की बात नहीं थी।
डिजिटल प्लेटफॉर्म से बसपा का दूरी बनाए रहना
कोविड के चलते चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया के माध्यम से चुनाव प्रचार करने के लिए कहा था। सभी पार्टियां डिजिटल के जरिए लोगों से जुड़ने में लग गईं लेकिन बीएसपी ने डिजीटल प्लेटफॉर्म पर बिल्कुल भी उपस्थिति नहीं दर्ज कराई। नतीजा यह हुआ कि बीएसपी शुरुआत से ही प्रचार में पिछड़ गई।
जनसभाओं और रैलियों की कमी
जहां एक ओर बीजेपी, सपा और कांग्रेस जनसभा, रैलियां और रोड शो कर के जनता से लगातार जुडने का प्रयास कर रही थी वहीं बसपा ने दूसरे और तीसरे चरण के बाद जनसभाएं करना शुरू किया। हालच ये हुई सभी जिलों मे नहीं पहुंच पाई जिसका खामियाजा बसपा को भुगतना पड़ा। बसपा की तरफ से 2022 के चुनाव में एक भी रोड शो देखने को नहीं मिला।
जनता नहीं कर पा रही बसपा पर विश्वास
बसपा की तरफ से 2022 के विधानसभा में कोई भी घोषणा पत्र नहीं जारी किया गया। बसपा इस अति उत्साह में थी कि लोग पार्टी के नाम और मायावती के चेहरे पर वोट दे देंगे। बसपा पर यूपी के लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ की वो सरकार भी बना सकती है।
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