सार

उत्तर प्रदेश के चुनावों (Uttar Pradesh Elections) में जातीय समीकरणों को साधते हुए ही राजनीतिक दल टिकटों का बंटवारा करते हैं। इस बार भी कुछ हद तक ऐसा ही प्रयास किया गया है। यहीं नहीं कई सीटों पर जिनको टिकट की आस थी और उन्हें टिकट नहीं मिल पाया वो बागी हो गए हैं। ऐसी ही एक सीट है बाराबंकी की दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र। जहां से हड़हा स्टेट के राजा राजीव सिंह 26 साल तक लगातार विधायक रहे। सपा सरकार में वो मंत्री भी रहे लेकिन 2017 की मोदी लहर में वो हार गए और भाजपा से युवा नेता सतीश चंद्र शर्मा विधायक बने थे। 

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में चुनाव अब पांचवें चरण में पहुंच गया है। 27 तारीख को इस चरण में बाराबंकी में भी चुनाव होना है। बाराबंकी में चुनाव काफी अहम माना जा रहा है।  यहां पर 6 विधानसभा सीटें कुर्सी, रामनगर, जैदपुर, हैदरगढ़,  दरियाबाद और रुदौली हैं। हर सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प है। बीजेपी और सपा के बीच में सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। रामनगर, दरियाबाद और कुर्सी विधानसभा सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प देखी जा रही है। 

उत्तर प्रदेश के चुनावों (Uttar Pradesh Elections) में जातीय समीकरणों को साधते हुए ही राजनीतिक दल टिकटों का बंटवारा करते हैं। इस बार भी कुछ हद तक ऐसा ही प्रयास किया गया है। यहीं नहीं कई सीटों पर जिनको टिकट की आस थी और उन्हें टिकट नहीं मिल पाया वो बागी हो गए हैं। ऐसी ही एक सीट है बाराबंकी की दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र। जहां से हड़हा स्टेट के राजा राजीव सिंह 26 साल तक लगातार विधायक रहे। सपा सरकार में वो मंत्री भी रहे लेकिन 2017 की मोदी लहर में वो हार गए और भाजपा से युवा नेता सतीश चंद्र शर्मा विधायक बने थे। 

बता दें कि सपा नेता अरविंद सिंह गोप अखिलेश के करीबी लोगों में शुमार किए जाते हैं, गोप 2012 में बाराबंकी की रामनगर सीट से विधायक बने थे। हालांकि 2017 में वो चुनाव हार गए थे मगर पूरे पांच साल वो रामनगर सीट से ही तैयारी कर रहे थे और टिकट भी यहीं से चाह रहे थे। मगर सपा हाईकमान ने गोप को दरियाबाद से टिकट दे दिया जिससे वो भी बहुत खुश नहीं थे। 

टिकट को लेकर खींचतान
राजीव सिंह दरियाबाद सीट से अपने बेटे रितेश सिंह के लिए टिकट चाह रहे थे मगर उनको टिकट नहीं मिला। उनके समर्थक कहते हैं कि दशकों जिस पार्टी के लिए राजा साहब ने अपना जीवन दिया उसकी उपेक्षा वो बर्दाश्त नहीं कर पाए। हार्ट अटैक की वजह से जनवरी 2022 में उनका निधन हो गया। रितेश सिंह ने पिता के मरने के बाद दरियाबाद सीट से ही निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया है। अरविंद सिंह गोप के लिए इस सीट से चुनाव लड़ना बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। दरअसल इलाके में चर्चा है कि राजीव सिंह के समर्थक गोप का सपोर्ट नहीं करेंगे। हालांकि मृदुभाषी गोप इलाके में खासे लोकप्रिय हैं लेकिन विपक्ष के साथ साथ भीतरघात से भी लड़ना पड़ रहा है।

रामनगर में ये रहा इतिहास
रामनगर सीट को वीआईपी सीट कहा जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां मतदाताओं ने एक बार जीतने के बाद किसी भी विधायक पर दोबारा भरोसा नहीं किया है। इस सीट पर किसी भी दिग्गज से दिग्गज नेता या किसी दल का एक छत्र राज नहीं रहा है। 2017 में भारतीय जनता पार्टी में शरद कुमार अवस्थी ने जीत हासिल की थी। 

भाजपा ने यहां से मौजूदा विधायक सतीश चन्द्र शर्मा को ही प्रत्याशी बनाया है, कांग्रेस ने चित्रा वर्मा को टिकट दिया है। रामनगर सीट पर टकराहट को रोकने के लिए सपा के रणनीतिकारों ने ये फैसला लिया क्योंकि कद्दावर समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा भी रामनगर से ही टिकट मांग रहे थे जिसके चलते बाराबंकी की हॉट सीट बन गई थी रामनगर। गुटबाजी को रोकने के लिहाज से राकेश वर्मा को कुर्सी विधानसभा सीट से सपा ने प्रत्याशी बनाया है। 

कुर्सी विधानसभा सीट का हाल
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के कुर्सी विधानसभा सीट का बड़ा ही महत्व है। इस क्षेत्र का 2012 में परिसीमन के बाद नाम बदलकर कुर्सी किया गया। साल 2002 में भाजपा पहली बार इस सीट पर जीती थी। साल 2007 में बसपा का कब्जा रहा था। वहीं 2017 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शकेंद्र प्रताप वर्मा ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार फरीद किदवई को 28,679 मतों के अंतर से हराया था। बता दें कि कुर्सी में मुकाबला बेहद दिलचस्प है। ग्रामीण इलाका आने की वजह से यहां जनवरों की प्रमुख समस्या है। वहीं दूसरी तरफ सपा ने बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को यहां से टिकट दिया है। बेनी प्रसाद वर्मा की शुरुआत से ही बाराबंकी में मजबूत पकड़ रही है। इसलिए बीजेपी के लिए जमीन बचाना बेहद ही कठीन होगा। 

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