सार
यह चप्पल काशी विश्वनाथ मंदिर के कारिडोर में स्थित खादी की दुकानों में उपलब्ध होंगे। इस चप्पलों को श्रद्धालु और मंदिर के कर्मचारी उपयोग में ला सकते हैं नंगे पांव मंदिर प्रांगण प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। 14 जनवरी से (केबीआईसी) हस्तनिर्मित कागज की चप्पल की बिक्री शुरू हो जायेगी। इन चप्पलों के इस्तेमाल के बाद इसे फेंका भी जा सकता है।
वाराणसी: विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में ठंड बढ़ने के साथ साथ मंदिर में श्रद्धालुओं और कर्मचारियों के लिए विशेष व्यवस्था शुरू हो रही है। जहां कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) द्वारा काशी विश्वनाथ धाम के कर्मचारियों के लिए जूट से बने चप्पल भेजे गए थे और वह चप्पल मंदिर परिसर में सेवादारों और कर्मचारियों के साथ साथ तैनात सुरक्षाकर्मियों को वितरण किया गया था।
वही खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने श्रद्धालुओं और कर्मचारियों को हाथ से बनी कागज की चप्पल की बिक्री शुरू करने का फैसला किया। सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
यह चप्पल काशी विश्वनाथ मंदिर के कारिडोर में स्थित खादी की दुकानों में उपलब्ध होंगे। इस चप्पलों को श्रद्धालु और मंदिर के कर्मचारी उपयोग में ला सकते हैं नंगे पांव मंदिर प्रांगण प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। 14 जनवरी से (केबीआईसी) हस्तनिर्मित कागज की चप्पल की बिक्री शुरू हो जायेगी। इन चप्पलों के इस्तेमाल के बाद इसे फेंका भी जा सकता है।
अगले आदेश तक प्रवेश पर रोक
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला किया गया है। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि लाखों की संख्या में भक्त आ रहे हैं ऐसे में कोविड के बढ़ते मामले को देखते हुए अगले आदेश तक प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। अब केवल भक्तों को झांकी दर्शन ही बाबा का प्राप्त होगा।
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