सार
मगरमच्छ ने विकास के पैर को अपने मुंह के जबड़े में फंसा लिया। विकास ने जब शोर मचाया तो नीरज वहां पहुंच गया। बड़े भाई की जान मुश्किल में देख नीरज ने एक पत्थर को उठाया और मगरमच्छ के ऊपर फेंक दिया। पत्थर लगने के बाद मगरमच्छ ने विकास के पैर को छोड़ दिया।
पीलीभीत : उत्तर-प्रदेश (uttar pradesh) के पीलीभीत (Pilibhit) में एक नाबालिग लड़के ने बहादुरी दिखाते हुए अपने बड़े भाई को मगरमच्छ के जबड़ों से बाहर निकाल लिया। छोटे भाई ने जिस तरह अपने भाई की जान बचाई, उसकी बहादुरी की चर्चे गांव में हर ओर होने लगे हैं। ये घटना पूरनपुर के माधोटांडा क्षेत्र के गांव हरीपुर फुल्हर की है। दोनों भाई गेहूं बुवाई के लिए खेत पर गए थे, तभी वहां छिपे मगरमच्छ ने हमला बोल दिया। मगरमच्छ ने एक लड़के का पैर अपने जबड़े में फंसा लिया, लेकिन भाई की सूझबूझ से उसकी जान बच गई।
अचानक मगरमच्छ ने पकड़ लिए पैर
हरीपुर फुल्हर गांव के रहने वाला नीरज अपने चचेरे भाई विकास के साथ खेत पर गेहूं बुवाई के लिए पानी भरने गया था। दोनों की उम्र 16 और 17 साल बताई जा रही है। बुवाई के दौरान विकास पास में ही बह रही नहर के पास जा पहुंचा। नहर के पास शिकार की तलाश में मगरमच्छ छिपा बैठा था। इसी बीच मगरमच्छ ने विकास पर हमला बोल दिया। मगरमच्छ ने विकास के पैर को अपने मुंह के जबड़े में फंसा लिया। विकास ने जब शोर मचाया तो नीरज वहां पहुंच गया। नीरज ने भाई विकास को मगरमच्छ के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुआ। जिसके बाद उसने पास ही पड़े पत्थर को उठाया और मगरमच्छ के ऊपर फेंक दिया। पत्थर लगने के बाद मगरमच्छ ने विकास के पैर को छोड़ दिया। नीरज की सूझबूझ से विकास की जान बच गई लेकिन उसके पैर में जबड़ों से काफी चोट आई।
बाल-बाल बची जान
मगरमच्छ के हमले से घायल नीरज को लेकर विकास गांव पहुंचा। जिसे देख गांव वाले उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उसका इलाज किया गया और बाद में हालत में सुधार होने पर उसे घर भेज दिया गया। छोटे भाई ने जिस तरह बड़े भाई की जान बचाई उसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। वहीं घटना के बाद गांव वाले डरे हुए हैं, वे नहर के पास जाने से कतरा रहे हैं।
वन विभाग ने किया अलर्ट
घटना की जानकारी गांव वालों ने वन अधिकारियों को भी दी। वन विभाग ने स्थानीय लोगों को सिंचाई नहरों के पास काम करते समय सतर्क रहने को कहा है। वन विभाग का कहना है कि मानसून के दौरान बाढ़ की नदियों में मगरमच्छ सिंचाई नहरों में तैरते हैं। इसलिए वह इधर आ जाते हैं। वहीं वन विभाग ने लोगों को मगरमच्छों से आगाह करने के लिए साइन बोर्ड भी लगाए हैं।
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