सार
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में जिला अदालत ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया है। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है। हालांकि अभी इस बारे में मुस्लिम पक्ष की ओर से साफतौर पर बयान नहीं आया है।
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में सोमवार का दिन काफी अहम रहा। इस मामले में वाराणसी जिला कोर्ट अपना फैसला सुना दिया है। हिंदू पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद अब अंदेशा है कि मुस्लिम पक्ष मामले को लेकर हाइकोर्ट जा सकता है। ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और मूर्तियों के संरक्षण के बारे दी गई याचिका पर फैसला आना था, कि यह मामला सुनवाई योग्य है या नहीं। जिस पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने इस मामले को सुनवाई योग्य माना है और मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया गया है।
हिंदू पक्ष में आया फैसला
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई योग्य माना है। मामले पर अगली सुनवाई 22 सितंबर को की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे पक्ष में फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्ष जिला कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्वीकार किया है कि इस मामले में 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है। इसी के साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट नहीं होगा लागू
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से अपील की थी कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है। क्योंकि उस के आधार पर फैसला लेने की मनाही है। बता दें कि 1991 का कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले जो धर्मिक स्थल आजादी से पहले जिस रुप में था वह उसी रुप में रहेगा। लेकिन अयोध्या के मामले को इस मामले से अलग रखा गया है। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से अभी जिला अदालत के फैसले के खिलाफ जाने कि कोई साफतौर पर संकेत नहीं मिले हैं। हालांकि ऐसा माना जरूर जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख कर सकता है।
लीगल टीम बनाएगी आगे की रणनीति
वहीं अपनी ओर से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महल ने बयान जारी करते हुए बताया कि पहले कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को पढ़ा जाएगा। इसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि आगे की क्या रणनीति हो सकती है। मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महल ने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में जब फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के वर्शिप एक्ट के बारे में जो कहा था। उससे उम्मीद की रोशनी जगी थी कि अब देश में मंदिर-मस्जिद से जुड़े सभी विवादों का अंत हो गया। लेकिन इसके बाद भी यह फैसला आया है।
मु्स्लिम पक्ष ने किया फैसले का स्वागत
मौलाना खालिद राशिद ने जिला कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हमारी लीगल टीम इस मामले पर स्टडी करेगी कि आगे क्या कदम उठाना है। मुस्लिम पक्ष ने अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की बात पर कुछ भी साफ-साफ नहीं कहा है। बता दें कि हिंदू पक्ष में फैसला आने के बाद पुरे कोर्ट परिसर में महादेव के जयकारे लगने लगे। कोर्ट के फैसला सुनाए जाने से पहले चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षाबल की तैनाती की गई थी।
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