सार
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का इलाज गुरुग्राम मेदांता अस्पताल में जारी है। इस बीच पार्टी के कई नेता और परिवार के लोग वहां मौजूद है। नेताजी ने एक बार राष्ट्रपति चुनाव में अपने वोट की पर्ची को फाड़ दिया था।
लखनऊ: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों की टीम के द्वारा लगातार उनकी सेहत की निगरानी की जा रही है। इस बीच अखिलेश यादव समेत परिवार के कई अन्य सदस्य वहां पर मौजूद है। नेताजी का हाल जानने के लिए कई बड़े-बड़े नेता भी वहां पर पहुंच रहे हैं। प्रदेश के कई जनपदों में नेताजी के समर्थकों के द्वारा पूजन औऱ हवन भी किया जा रहा है। फिलहाल आज हम आपको मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुडे़ उस किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं जब उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में खुद वोट की पर्ची फाड़ दी थी।
गलती का अहसास होते ही फाड़ दी वोट की पर्ची
दरअसल यह पूरा मामला साल 2012 में सामने आया था। उस समय एनडीए की ओर से पीए संगमा और यूपीए की ओर से प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। केंद्र में यूपीए और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। उस समय सपा ने तय किया कि वह यूपी से राष्ट्रपति उम्मीदवार को अपना वोट देगी। संसद भवन में काउंटिंग वाले दिन मुलायम सिंह यादव अपना वोट डालने गए। वह पता नहीं किस जल्दबाजी में थे कि उन्होंने पीए संगमा के नाम पर मोहर लगा दी। मोहर लगाने के बाद जब नेताजी को अहसास हुआ कि उनसे गलती हो गई तो उन्होंने वोट की पर्ची फाड़ दी। इसके बाद चुनाव पर्यवेक्षक से दूसरी पर्ची मांगी।
एनडीए ने जमकर किया था हंगामा
दूसरी पर्ची पर मुलायम सिंह यादव ने यूपीए कैंडीडेट प्रणब मुखर्जी के नाम के आगे मुहर लगाई और उसे मतपेटी में डाल दिया। एनडीए को जब यह पता लगा तो जमकर हंगामा हुआ। हालांकि यूपीए मुलायम सिंह यादव के बचाव में उतर आई। इस घटना को लेकर चुनाव आयोग में भी शिकायत दर्ज करवाई गई। नियम के अनुसार मतपत्र पर स्याही गिरने या किसी वजह से उसके चिपककर फट जाने पर ही दूसरी मतपत्र दिया जाता है। लेकिन मुलायम सिंह यादव के केस में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। एनडीए की ओऱ से मांग की गई थी कि मुलायम सिंह यादव के पहले वोट को ही मान्य माना जाए। लेकिन चुनाव आयोग ने उनके वोट को अमान्य करार दिया।
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