सार
भारत इस साल 71वां गणत्नत्र दिवस मना रहा है। नई दिल्ली में होने वाले इस सेलिब्रेशन में भारत हर साल विदेशों से कई महत्वपूर्ण मेहमानों को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाता है। मुख्या अतिथि के चुनाव के लिए महीनों माथापच्ची की जाती है। इसके बाद उस देश से जिससे भारत अपनी दोस्ती को मजबूत करना चाहता है, या नयी दोस्ती शुरू करना चाहता है, उसे बुलाता है।
नई दिल्ली: जबसे भारत आजाद हुआ है, हर साल गणतंत्र दिवस पर अलग-अलग देशों के मजबूत नेता यहां आते हैं। इसके लिए काफी डिस्कशन किया जाता है। अंत में निर्णय लिया जाता है कि किस देश के नेता को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाएगा? जबसे भारत आजाद हुआ है, तबसे कई देश के नेता यहां गणतंत्र दिवस के दिवस पर आते रहे हैं। भारत की तरफ से पाकिस्तान को दो बार गणतंत्र दिवस की परेड में बुलाया गया था। लेकिन 1965 के बाद से आज तक पाकिस्तान को कभी इसमें निमंत्रण नहीं दिया गया। 1955 में पहली बार पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद ने इसमें शिरकत की थी। इसके बाद 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद आखिरी बार इस देश ने भारत के इस महान उत्सव में हिस्सा लिया था। लेकिन इसके बाद से आजतक कभी ऐसा नहीं हुआ।
आ चुके हैं कई देशों के मेहमान
आज तक के इतिहास में भारत ने साऊथ अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, ब्राजील, यूनाइटेड किंगडम से लेकर नेपाल तक को गणतंत्र दिवस पर बुलाया गया था। बात अगर भारत के पहले गणतंत्र दिवस की करें तो इसमें इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो ने हिस्सा लिया था। उस समय सुकर्णों पीएम जवाहर लाल नेहरू के काफी नजदीक थे। इसके बाद नेपाल के राजा और भूटान के किंग भी चीफ गेस्ट रह चुके हैं। यहां तक की चीन के नेता भी इस उत्सव का हिस्सा यह चुके हैं।
मोदी सरकार का पहला गणतंत्र दिवस
भारत की आजादी से लेकर 2014 तक अमेरिका ने गणतंत्र दिवस में हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पहली बार भारत आए एयर गणतंत्र दिवस की परेड में बतौर चीफ गेस्ट शिरकत की थी। ये भारत में मोदी सरकार का पहला गणतंत्र दिवस था। इसके बाद से लेकर अब तक तो कई देशों के नेता हर साल इसका हिस्सा बनते रहते हैं।