सार
सिंगापुर में रहने वाले 55 साल के स्टीवन टैन ली मेंग पिछले कई सालों से मस्जिद के बाहर जुमे के दिन आकर नमाजियों के जूते अरेंज करते हैं।
सिंगापुर: दुनिया में ऐसे काफी कम लोग बचे हैं जो बिना किसी लालच के दूसरों की मदद करते हैं। आज के जमाने में लोग बिना मतलब के अपनों की भी मदद नहीं करते। ऐसे में सिंगापुर के चचा स्टीवन लोगों के लिए मिसाल हैं।
जुमे को आते हैं मस्जिद
55 साल के स्टीवन टैन ली मेंग पिछले कई सालों से बिना रुके हर जुमे की नमाज के दिन सेंगकंग के मस्जिद-अल-मवद्दाह पहुंचते हैं। वहां मस्जिद के बाहर नमाजियों द्वारा खोले गए जूते स्टीवन सजा कर रखते हैं। ताकि नमाजियों को अपने जूते-चप्पल बिना मेहनत के मिल जाए।
पसीने से तरबतर होकर भी करते हैं काम
स्टीवन को आसपास के लोग चचा स्टीवन भी बुलाते हैं। चाहे धूप हो या बरसात, स्टीवन हर शुक्रवार मस्जिद आते हैं। बाहर खड़े होकर स्टीवन सभी के जूते-चप्पल अरेंज करके रखते हैं। पसीने से तरबतर होने के बावजूद वो अपना काम नहीं रोकते। सबसे हैरत की बात तो ये है कि इस काम के बदले वो एक रुपया भी नहीं लेते। वो अपनी मर्जी से नमाजियों की मदद के लिए आते हैं। अगर कोई नमाजी उन्हें पैसे देने की कोशिश भी करता है तो वो मना कर देते हैं। उनके मुताबिक, वो ये काम पैसों के लिए नहीं, मानसिक शांति के लिए करते हैं।
मानसिक रूप से हैं बीमार
चचा स्टीवन बायपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त है। इस बीमारी में लोगों के मूड काफी जल्दी बदल जाते हैं। वो अपने भाई के साथ रहते हैं, जो खुद भी मानसिक रोगी हैं। स्टीवन कभी कंप्यूटर टेक्नीशियन के तौर पर काम करते थे। लेकिन बीमारी के कारन उनकी जॉब चली गई। आज स्टीवन नमाजियों की मदद के कारण मशहूर हो रहे हैं।