सार

किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत 13 मार्च को पश्चिम बंगाल जाएंगे। उन्होंने ऐलान किया कि वहां वे सरकार से मिलेंगे। राकेश टिकैत ने कहा, सुना है सरकार आजकल पश्चिम बंगाल पहुंची है। हम सरकार से वहीं मिलेंगे। बता दें कि 6 मार्च को किसान आंदोलन के पूरे 100 दिन हो चुके हैं। इस बीच किसानों ने विधानसभा चुनावों में भाजपा के विरोध की चेतावनी दी है।

नई दिल्ली. किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत 13 मार्च को पश्चिम बंगाल जाएंगे। उन्होंने ऐलान किया कि वहां वे सरकार से मिलेंगे। राकेश टिकैत ने कहा, सुना है सरकार आजकल पश्चिम बंगाल पहुंची है। हम सरकार से वहीं मिलेंगे। बता दें कि 6 मार्च को किसान आंदोलन के पूरे 100 दिन हो चुके हैं। इस बीच किसानों ने विधानसभा चुनावों में भाजपा के विरोध की चेतावनी दी है।

13 मार्च को किसान पंचायत
राकेश टिकैत ने कहा, हम किसानों से बात करेंगे। एमएसपी पर खरीद हो रही है कि नहीं, उन्हें क्या दिक्कत है? वहीं पश्चिम बंगाल में 13 मार्च को बड़ी किसान पंचायत है। वहां के किसानों से मिलकर एमएसपी को लेकर जानेंगे। 

7 मार्च को बंगाल में थे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को यानी की आज 7 मार्च को बंगाल दौरे पर पहुंचे। पीएम मोदी ने ब्रिगेड मैदान में रैली को संबोधित और ममता बनर्जी के साथ-साथ लेफ्ट और कांग्रेस पर एक साथ निशाना साधा। पीएम मोदी ने ममता बनर्जी पर निसाना साधते हुए कहा कि आपने एक ही भतीजे की बुआ होने के मोह को कियों चुना? पीएम ने इस दौरान ममता से लेकर कांग्रेस और वामदलों तक कोलकाता से सबकी खबर ली।

आजादी के नारे से सत्ता में आए थे वामपंथी 
पीएम मोदी ने कहा था, 'आजादी के नारे पर कांग्रेस सत्ता में आई थी। आजादी के बाद कुछ समय काम हुआ, लेकिन फिर बंगाल पर वोटबैंक की राजनीति हावी होती चली गई। इस राजनीति को वामपंथियों ने और बढ़ाया और नारा दिया, "कांग्रेसेर कालो हाथ, भेंगे दाओ, गुड़िये दाओ! ऐसे ही नारों के दम पर वामपंथी सत्ता में आए, लगभग तीन दशक तक सत्ता संभाली। आज उस काले हाथ का क्या हुआ?

जिस हाथ को वामपंथी काला समझते थे, वो आज सफेद कैसे हो गया? जिस हाथ को तोड़ने की बात करते थे, आज उसी का आशीर्वाद लेकर वो चल रहे हैं।' मोदी ने इसके आगे कहा, 'वामपंथियों के विरुद्ध ममता दीदी ने पोरिवर्तन का नारा दिया था। पश्चिम बंगाल से मां, माटी, मानुष के लिए काम करने का वादा किया था। पिछले 10 साल से यहां TMC की सरकार है, क्या सामान्य बंगाली परिवार के जीवन में वो परिवर्तन आया जिसकी उसे अपेक्षा थी?'