सार
हिटलर के लिए भारत पृथ्वी पर सबसे संसाधनपूर्ण भूमि में से एक था। हिटल भारत को ब्रिटेन की दुखती रग मानता था। वह भारतीय हॉकी के दिग्गज ध्यानचंद का फैन था। उसने ध्यानचंद को जर्मन सेना में एक पद की पेशकश भी की थी।
नई दिल्ली: आमतौर पर दुनियाभर में अडोल्फ हिटलर का उदाहरण सख्ती और अत्याचार के लिए दिया जाता है। लोग अक्सर अपने बॉस या सख्त शिक्षक को हिटलर कहते हैं। हालांकि, वह सभी के प्रति ऐसा नहीं था। खासकर भारत के प्रति। 1940 के शुरुआती दशक में जब भारत में ब्रिटिश शासन के अंतिम वर्ष रह गए थे। भारत जल्द ही अंग्रेजों से आजाद होना चाहता था। उस समय भारतीय जनता की नजरों में हिटलर की छवि काफी खराब थी।
उस समय जर्मनी खुद को एक मजबूत देश बनाने के लिए लड़ रहा था। वहीं, भारत अपनी आजादी के लिए। उस समय भारत और हिटलर दोनों का दुश्मन ब्रिटेन थाय़।दोनों के बीच बस एक यह ही जुड़ाव था। हिटलर उस समय भारत की ताकत को पहचानता था, लेकिन अपने अनोखे तरीके से।
उसके लिए भारत पृथ्वी पर सबसे संसाधनपूर्ण भूमि में से एक था। इसके अलावा वह भारत में ब्रिटेश शासक को एक टेक्स्टबुक की तरह मानता था। जिस तरह अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया। ठीक उसी तरह वह भी रूस पर शासन करना चाहता था। हिटलर अक्सर अपनी सेना को भारत से सबक लेने के लिए कहता था।
हिटलर की सुभाष चंद्र बोस से मुलाकात
17 अक्टूबर 1941 में हिटलर ने कहा था कि ब्रिटेन अच्छी तरह जानता है कि उसका साम्राज्य भारत के अस्तित्व पर निर्भर करता है। हिटलर के लिए भारत, ब्रिटेन की दुखती रग था। 1942 में हिटलर ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय सेना के नेता सुभाष चंद्र बोस से मुलाकात की। बोस भारत में क्रांति लाने के लिए हिटलर की मदद चाहते थे।उनके प्लान में घर में विद्रोह के साथ औपनिवेशिक शक्ति को विचलित करना शामिल था। उनका मानना था कि इससे जर्मनी के खिलाफ युद्ध में ब्रिटिश सेना कमजोर हो जाएगी।
हिटलर ने बोस को जापान भागने में मदद की
बोस के अनुसार जर्मनी अपनी सैन्य श्रेष्ठता के कारण ब्रिटेन को हरा दे सकता था और भारत को आजादी मिल जाएगी। हालांकि, हिटलर ने बोस की मदद करने से इनकार कर दिया था। इतिहासकार बताते हैं कि हिटलर ने बोस की मदद करने से इसलिए इनकार कर दिया था। क्योंकि उन्होंने नाजी नेता से मीन कम्फ (हिटलर की आत्मकथा) से कुछ अंश काटने के लिए कहा था। इस तरह बोस की योजना असफल हो गई। हालांकि, जर्मनों ने बोस को जापान भागने में मदद की थी।
ध्यानचंद का फैन था नाजी नेता
इतिहास गवाह है कि हिटलर भारतीय हॉकी के दिग्गज ध्यानचंद का फैन था। 1936 के ओलंपिक में भारत से जर्मनी की हार ने हिटलर को ध्यान ध्यानचंद की ओर खींचा।उन्होंने ध्यानचंद को जर्मन सेना में एक पद की पेशकश भी की, जिसे बाद में उन्होंने अस्वीकार कर दिया था।
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