सार
अफगानिस्तान में Taliban की सरकार बनने के बाद लॉ एंड ऑर्डर(law and order) एक बड़ी चुनौती है। वहीं, जगह-जगह विद्रोही भी जमे हुए हैं। ये दोनों तस्वीरें तालिबान के लिए पैदा हुईं चुनौतियों को दिखाती हैं।
काबुल. अफगानिस्तान में Taliban की सरकार बने 2 महीने हो चुके हैं, लेकिन स्थितियां पूरी तरह से अभी भी सामान्य नहीं हुई हैं। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से लॉ एंड ऑर्डर(law and order) एक बड़ी चुनौती है। वहीं, जगह-जगह विद्रोही भी जमे हुए हैं।
पहली तस्वीर हाईवे पर ट्रकों से वसूली कर रहे लड़ाकों की है
ये तालिबान के लड़ाके हैं। इनकी ड्यूटी राजमार्ग(Highway) पर लगाई गई थी। लेकिन शिकायत मिली कि ये ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। TV सूत्रों के अनुसार शिकायत के बाद तालिबान के सीनियरों ने इन लड़ाकों को पकड़कर हिरासत में लिया और बुरी तरह पीटा। इस तस्वीर को twitter पर किसी ने शेयर करते हुए लिखा-अफगानिस्तान में कोई रिश्वत नहीं!
तालिबान ने BLA विद्रोहियों के ठिकाने पर हमला किया
यह तस्वीर जनरल आलम खट्टक (आर) Gen Alam Khattak(R) ने twitter पर शेयर की है। इसमें लिखा गया कि पिछले हफ्ते तालिबान ने निमरोज प्रांत में एक गुप्त BLA ट्रेनिंग सेंटर पर हमला किया था। इसमें कई BLA आतंकवादी मारे गए। कुछ को पकड़ लिया गया। निमरोज सड़क मार्ग से सीधे चाबहार से जुड़ा हुआ है।
बता दें कि निमरोज प्रांत बलूचिस्तान से सटा हुआ है। यह पाकिस्तान का पश्चिमी प्रान्त है। बलूचिस्तान ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रान्त) तथा अफगानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बंटा हुआ है। 1944 में बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की लड़ाई जनरल मनी ने शुरू की थी। 1947 में ब्रिटिश सरकार के इशारे पर इसे पाकिस्तान ने अपने में शामिल कर लिया।। 1970 के दशक में एक बलूच राष्ट्रवाद का उदय हुआ, जिसमें बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतन्त्र करने की मांग उठी। BLA (Balochistan Liberation Army) इसी लड़ाई से जुड़ा है।
पाकिस्तान के लिए गले की फांस बना तालिबान
तालिबान अपनी सरकार को मान्यता दिलाने परेशान है। सबसे पहले पाकिस्तान से उसे मान्यता देने की बात कही थी, लेकिन ऐसा करना अब उसके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है। अमेरिका पहले से ही तालिबान के रवैये से खुश नहीं है। अगर इमरान खान तालिबान को मान्यता देते हैं, तो पाकिस्तान को FATF(Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में चला जाएगा। यानी उसे भी किसी देश से मदद नहीं मिलेगी।