सार

11 सितंबर 2001 के बाद अमेरिका में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हो सका। जबकि अल-कायदा लंबे समय तक सक्रिय रहा और आगे चल कर तालिबान ने भी आतंकी गतिविधियां जारी रखीं। आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन भी सामने आए, पर अमेरिका में  किसी तरह का आतंकी हमला ये नहीं कर सके।  

वॉशिंगटन। न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए 9/11 के सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद अमेरिका में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। इस हमले के बाद अमेरिका सतर्क हो गया और उसने दुनिया के बड़े आतंकी संगठनों पर कड़ी निगाह रखनी शुरू कर दी। अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा अल-कायदा था। अल-कायदा के सुप्रीम लीडर और दुनिया के खूंखार आतंकवादियों में एक ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका पर ऐसा आतंकी हमला किया, जिसका कोई दूसरा उदाहरण इतिहास में नहीं मिलता। इस आतंकी हमले ने अमेरिका को हिला कर रख दिया था। पर जल्दी ही वह इसके खौफ से उबर गया। उसने दोबारा पूरी तरह बर्बाद हो चुके ट्विन टावर का निर्माण किया और अपने नागरिकों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहा कि उन्हें फिर किसी आत्मघाती हमले का सामना नहीं करना पड़ेगा। मानना होगा कि अमेरिका ने अपने नागरिकों को कोई झूठा भरोसा नहीं दिया था। जानते हैं, आखिर अमेरिका ने आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए क्या कदम उठाए।

9/11 के बाद अमेरिका में कितने लोग आतंकवाद के शिकार हुए
9/11 के बाद अमेरिका में छिटपुट आतंकी घटनाओं में करीब 104 लोग मारे गए हैं। 18 वर्षों के दौरान दुनिया के बड़े आतंकी संगठनों को नेस्तनाबूद करने में लगे देश के लिए यह कोई बड़ी संख्या नहीं है, खास कर जब यह देखा जाए कि इस दौरान पूरी दुनिया में आंतकवाद की चपेट में आकर न जाने कितने हजार लोगों की जानें गईं।      

कैसे अमेरिका ने बनाई सुरक्षा व्यवस्था
अल-कायदा और दूसरे आतंकी संगठनों के हमलों से बचाव के लिए अमेरिका ने बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था बनाई। इसमें लोकल कम्युनिटी लेवल से लोगों को शामिल किया गया और उन्हें सुरक्षा के टिप्स देने के साथ बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के बीच से इन्फॉर्मेंट्स चुने गए। इसमें स्थानीय परिवारों को भी शमिल किया गया और आम लोगो को भी इस पूरी प्रक्रिया में भागीदार बनाया गया। 

इसका परिणाम क्या रहा
इसका परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहा। वेबसाइउट 'न्यू अमेरिका' में दिए गए आंकड़ों  के अनुसार 48 फीसदी आंतकियों के बारे में सरकार को इन्फॉर्मेंट से सूचना मिलने लगी। इस सूचना पर सरकार ने कड़ा एक्शन लेना शुरू किया। यही नहीं, 23 पर्सेंट आतंकी किसी परिवार अथवा कम्युनिटी के मेंबर की सूचना पर पकड़े गए। यह एक बड़ी बात थी। दिए गए आंकड़े के अनुसार, 9 फीसदी आतंकी आम लोगों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर पकड़े गए। 

विदेशों में अमेरिका ने आतंकियों की कमर तोड़ दी
9/11 के हमले से बौखलाए अमेरिका ने आतंकवादियों के प्रति अपने रुख में बदलाव किया। वह पूरे दम-खम के साथ उनके खिलाफ एक्शन लेने लगा। अमेरिका ने अल-कायदा को खत्म करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, फिर भी यह आतंकी संगठन इतना मजबूत था कि इसके सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने में इसे 10 साल लग गए। 2 मई, 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में छिप कर रह रहे ओसामा को अमेरिकी कमांडोज के खास दस्ते ने उसके घर में ही मार डाला। इसके बाद अमेरिका एक तरह से अपने को सुरक्षित समझने लगा।

9/11 के बाद नहीं हुआ कोई बड़ा हमला
अमेरिका में   9/11 के बाद कोई बड़ा हमला नहीं हुआ, क्योंकि इसके बाद अल-कायदा अपने को बचाने की कोशिशों में ही लगा रहा, वहीं तालिबान ने भले ही अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों को अपना निशाना बनाया हो, पर अमेरिका में घुसने की हिम्मत वह नहीं कर सका। आईएसआईएस जैसा संगठन भी अमेरिका में आतंकी हमले करने से बचता ही रहा। उसने ज्यादातर यूरोपीय लोगों को अपना निशाना बनाया, पर बम-विस्फोट और बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान उसने नहीं किया। 

दो बड़े हमले की साजिश हुई विफल
अमेरिका में साल 2009 में क्रिसमस के दिन अल कायदा द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादी उमर फारूक अब्दुलमुत्तल्ब ने कार बम विस्फोट की योजना बनाई थी, लेकिन यह विस्फोट नहीं हो सका और इसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को मिल गई। इसके बाद टाइम्स स्क्वेयर, न्यूयॉर्क में पाकिस्तान तालिबान द्वारा भेजे गए  फैसल शहजाद ने भी कार बम विस्फोट को अंजाम देना चाहा, पर कामयाब नहीं हो सका। सुरक्षा एजेसियों को यह जानकारी उनके लोकल नेटवर्क से मिल गई। इसके बाद आज तक अमेरिका में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हो सका, क्योंकि अमेरिकी शासन ने 9/11 के हमले से सीख लेते हुए अपनी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को इतना मजबूत बना लिया है और ऐसी लौह दीवार खड़ी कर दी है कि कोई परिंदा तक वहां पर नहीं मार सकता।