सार
क्या बुल्गारिया के भविष्यवक्ता बाबा वेंगा की भविष्यवाणी सच साबित होने जा रही है? बाल्कन क्षेत्र का नास्त्रेदमस कही जाने वाले बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि 2022 में टिड्डियों का हमला भयंकर भुखमरी लाएगा। पूर्वी अफ्रीकी देशों में इसकी आहट दिखाई देने लगी है।
वर्ल्ड न्यूज. यह तस्वीर पूर्वी अफ्रीकी देश की है। यहां पिछले 2 साल से टिड्डियों का हमला(locusts attack) जारी है। इथियोपिया, केन्या और सोमालिया आदि देशों में टिड्डियों ने फसलें चट कर दी हैं। इससे अकाल(Famine-Food security) के हालात बनने लगे हैं। क्या बुल्गारिया की भविष्यवक्ता बाबा वेंगा की भविष्यवाणी सच साबित होने जा रही है? बाल्कन क्षेत्र का नास्त्रेदमस कहे जाने वाले बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि 2022 में टिड्डियों का हमला भयंकर भुखमरी लाएगा। पूर्वी अफ्रीकी देशों में इसकी आहट दिखाई देने लगी है। बता दें कि बाबा वेंगा ने साल 1996 में मरते समय साल 5079 तक के लिए अपनी भविष्यवाणी बता दी थी। इसमें कहा गया था कि 2022 तक घातक वायरस( इसे कोरोना कहा गया) आएगा। इसके बाद टिड्डियों के हमले भुखमरी का कारण बन सकते हैं। हालांकि उन्होंने भारत को लेकर भी यह भविष्यवाणी की थी, लेकिन पूर्वी अफ्रीका में इसका असर दिखाई देने लगा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन(The World Health Organization) ने बुधवार(17 अगस्त) को चेतावनी दी है कि पूर्वी अफ्रीका में लाखों लोग भुखमरी के खतरे का सामना कर रहे हैं। जिनेवा में एक मीडिया ब्रीफिंग में बोलते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस(WHO Director-General Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने कहा कि सूखा, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती कीमतें और उत्तरी इथियोपिया में चल रहे गृहयुद्ध खाद्य असुरक्षा( worsening food insecurity) को खराब करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
विश्व खाद्य कार्यक्रम और खाद्य और कृषि संगठन( World Food Programme and Food and Agriculture Organization found) द्वारा जुलाई के अंत में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि पूर्वी अफ्रीका में इस साल 50 मिलियन से अधिक लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त( United Nations High Commissioner for Refugees) के अनुसार, मोटे तौर पर 70 लाख बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं और सैकड़ों हजारों बच्चे भोजन या आजीविका की तलाश में अपना घर छोड़ रहे हैं। प्रभावित देशों में जिबूती, इथियोपिया, केन्या, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान और युगांडा शामिल हैं। फूड एंड एग्रीकल्चर के चिमिम्बा डेविड फ़िरी ने कहा, "हॉर्न ऑफ अफ्रीका( Horn of Africa) में वर्तमान खाद्य सुरक्षा की स्थिति लगातार 4 बरसात के मौसम के विफल होने के बाद कम से कम 40 वर्षों में या उपग्रह युग(satellite era) की शुरुआत के बाद से ऐसी जलवायु घटना नहीं देखी गई है।"
भीषण सूखे की चपेट में कई देश
जून में ब्राइटन विश्वविद्यालय के एक भौतिक भूगोलवेत्ता डेविड नैश ने कहा था कि इथियोपिया, सोमालिया और केन्या के बड़े क्षेत्र इस समय भीषण सूखे की चपेट में हैं। अफ्रीका के हॉर्न में प्रति वर्ष दो बरसात के मौसम होते हैं, लेकिन पिछले चार असामान्य रूप से शुष्क रहे हैं। सोमालिया के कुछ क्षेत्रों में दो वर्षों में बारिश नहीं हुई है। ब्राइटन ने बताया कि इस मौसम संबंधी सूखे के कारण मिट्टी की नमी का नुकसान हुआ है, जिससे जलमार्ग सूख गए हैं और लाखों पशुओं की मौत हो गई है। पूर्वानुमान बताते हैं कि सितंबर से दिसंबर का बारिश का मौसम भी विफल हो सकता है। यह अभूतपूर्व पांच-सीजन सूखा हो सकता है। जलवायु परिवर्तन से सूखे का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि गर्म हवा अधिक वाष्पीकरण का कारण बनती है और प्राकृतिक जल चक्र को बंद कर देती है।
70 सालों में सबसे खराब मौसम
जलवायु परिवर्तन और ला नीना ने अभूतपूर्व बहु-मौसम सूखा (पूर्वी अफ्रीका में) पैदा किया है, जो 70 वर्षों में सबसे खराब मार्च-से-मई बरसात के मौसम में से एक है। सूखे का फसल की पैदावार और पशुधन आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। सोमालिया में, इस साल सब्जी और अनाज उत्पादन में लगभग 80% की गिरावट आने की उम्मीद है।
यूक्रेन-रूस युद्ध ने और बिगाड़ी हालत
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद दोनों देशों ने अनाज का निर्यात रोक दिया है। फसल पर निर्भर देशों पर भी युद्ध काव्यापक प्रभाव पड़ा है। यूएस स्थित एक थिंक टैंक विदेश नीति अनुसंधान संस्थान के अनुसार सोमालिया पूरी तरह से गेहूं के आयात के लिए यूक्रेन (70 प्रतिशत) और रूस (30 प्रतिशत) पर निर्भर है। एक क्षेत्रीय ब्लॉक ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि सोमालिया और दक्षिण सूडान में लगभग 300,000 लोग अकाल की स्थिति में जा सकते हैं। इंटरगवर्नमेंटल अथॉरिटी ऑन डेवलपमेंट(आईजीएडी) द्वारा किया गया आकलन अभी तक का सबसे भयानक आकलन हैए क्योंकि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, मानवीय समूहों और अन्य लोगों ने इस क्षेत्र के खाद्य संकट पर अलार्म बजाया है। यह आकलन जिबूती से युगांडा तक इंटरगवर्नमेंटल अथॉरिटी ऑन डेवलपमेंट (IGAD) के सात सदस्य राज्यों पर लागू होता है।
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