सार
दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में कोरोना का कहर जारी है। अब तक 82 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में हर देश कोरोना से निपटने के लिए अपने अपने स्तर पर कदम उठा रहा है। अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और जर्मनी की तरह ब्राजील में भी कोरोना का कहर है।
नई दिल्ली. दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में कोरोना का कहर जारी है। अब तक 82 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में हर देश कोरोना से निपटने के लिए अपने अपने स्तर पर कदम उठा रहा है। अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और जर्मनी की तरह ब्राजील में भी कोरोना का कहर है। अब ब्राजील के राष्ट्रपति जेर बोलसोनारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मदद मांगी है। इतना ही नहीं उन्होंने इस चिट्ठी में हनुमान का भी जिक्र किया है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी भारत से मदद मांगी है।
भारत में बुधवार को हनुमान जयंति मनाई जा रही है। वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने चिट्ठी में लिखा, जिस तरह भगवान राम के भाई लक्ष्मण की जान बचाने के लिए हनुमान संजीवनी लेकर आए थे, जिस तरह से ईसा मसीह ने बीमारों को ठीक किया, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ आकर इस संकट से निपट सकते हैं। कोरोना से जूझ रहे लोगों के भलाई के लिए दोनों देशों को काम करना चाहिए। इस मुश्किल घड़ी में अनुरोध स्वीकार करें।
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा मांग रहे देश
दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि ब्राजील मलेरिया की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई के लिए भारत से मदद मांग रहे हैं। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजने के लिए निवेदन किया था। भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्माता है।
86 साल पुरानी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा का उपयोग?
1934 में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा बनी। इसका उपयोग दशकों से दुनिया भर में मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है। 1955 में संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकित्सीय उपयोग के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को मंजूरी दी गई थी। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में किया जाता है। इस दवा की खोज सेकंड वर्ल्ड वॉर के वक्त की गई थी। उस वक्त सैनिकों के सामने मलेरिया एक बड़ी समस्या थी।
ब्राजील में 688 लोगों की हो चुकी मौत
ब्राजील में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। यहां अब तक 14 हजार से ज्यादा संक्रमण के केस सामने आ चुके हैं। अब तक इससे 688 लोगों की मौत हो चुकी है।