सार
पाकिस्तान में तेजी से घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार के बीच नकदी की तंगी होती जा रही है। लोगों में इस बात का डर बढ़ता जा रहा है कि कहीं पाकिस्तान के हालात भी श्रीलंका जैसे न हो जाएं क्योंकि वहां भी विदेशी मुद्रा भंडार की बेहद कमी हो गई थी।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान में एक तरफ विदेशी कर्ज बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर विदेशी मुद्रा का भंडार तेजी से कम हो रहा है। कुछ ऐसे ही हालात श्रीलंका के साथ भी थे, जो इस वक्त सबसे बुरे आर्थिकर दौर से गुजर रहा है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान के 2.3 बिलियन डालर की मदद की है। बावजूद इसके पाकिस्तान मुद्रा भंडार सिंगल डिजिट में पहुंच गया है। पाकिस्तान की तिमाही रिपोर्ट बताती है कि लोन सर्विस का दायरा बढ़ता जा रहा है और विदेशी कर्ज का भुगतान संभव नहीं हो पा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान भी श्रीलंका जैसी मंदी का शिकार बन जाएगा।
पाकिस्तान में नगदी की कमी
नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि बढ़ते विदेशी कर्ज के बीच उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। यही कारण है कि उंचे कमर्शियल दरों पर डालर उधार लेना पड़ रहा है। वहीं एक रिपोर्ट यह भी बताती है पाकिस्तान को अब विदेशी कर्ज लेने में भी समस्या आने लगी है क्योंकि फारेन एक्सचेंज की कमी होती जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा निर्यात करने के बावजूद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बाजार से डालर नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान में महंगाई दर तेजी से बढ़ी है। पाक का विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। नगदी की कमी के कारण कई तरह की आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
चीन से लिया है महंगा लोन
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार ने चीन से लिए गए 2.3 बिलियन डालर के उधार का खुलासा नहीं किया है। इससे यह नहीं पता चल पाया है कि चीन ने किस रेट पर पाकिस्तान को यह कर्ज दिया है। बाजार में यह चर्चा आम है कि चीन से बहुत अधिक रेट पर कर्ज लिया गया है। जिसकी वजह से वित्तीय क्षेत्र और अर्थव्यस्था में शामिल लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं। पिछली इमरान खान सरकार के दौरान चीन ने सिंडिकेटेल लोन की वापसी पर सहमति जताई है लेकिन वर्तमान सरकार के साथ ऐसा नहीं हो सका है।
वित्त मंत्री दे रहे आश्वासन
कुछ समय पहले ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने आश्वासन दिया कि कुछ ही दिनों में 1 बिलियन अमेरिकी डालर की राशि मिलने वाली है। लेकिन 3 महीने बीतने के बाद भी आईएमएफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। रिपोर्ट कहती है कि बैंकरों का मानना है कि वाशिंगटन, सरकार को और अधिक फंड करने के लिए निर्देशित कर रहा है। आईएमएफ ने फंडिंग बंद कर दी है इसलिए देश को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से प्रोजेक्ट फंडिंग नहीं मिल पा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन यह बात जानता है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय लोन मार्केट से कुछ नहीं मिलने वाला है। यही कारण है उन्होंने बहुत अधिक रेट पर पाकिस्तान को कर्ज दिया।
यह भी पढ़ें