सार
सीमा विवाद पर भारत के बाद अब चीन ने भी अमेरिका की मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दी है। अमेरिका के प्रस्ताव के बारे में चीन की ओर से कहा गया है कि भारत और चीन के बीच किसी भी तीसरे की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।
बीजिंग. सीमा विवाद पर भारत के बाद अब चीन ने भी अमेरिका की मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दी है। अमेरिका के प्रस्ताव के बारे में चीन की ओर से कहा गया है कि भारत और चीन के बीच किसी भी तीसरे की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और चीन विवाद को लेकर दो बार मध्यस्थता की पेशकश की थी।
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत में भारत-चीन विवाद का जिक्र किया। उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच टकराव चल रहा है। मैं पीएम मोदी को बहुत पसंद करता हूं। वे जेंटलमैन हैं। भारत और चीन के बीच इस समय बड़ा विवाद है।
दोनों देश विवाद से खुश नहीं- ट्रम्प
उन्होंने कहा था, दोनों देशों के बीच 1.4 अरब की आबादी है। दोनों देशों की सेनाएं बहुत ताकतवर हैं। ऐसे में भारत खुश नहीं है और संभवता चीन भी खुश नहीं है। इससे पहले ट्रम्प ने कहा था कि दोनों देशों को इसकी जानकारी दे दी गई है कि अमेरिका दोनों के बीच विवाद सुझलाने में मध्यस्थता के तैयार है।
ट्रम्प बोले- चीन विवाद को लेकर पीएम मोदी से बात हुई
इतना ही नहीं ट्रम्प ने कहा था, उनकी चीन को लेकर पीएम मोदी से भी बात हुई है। हालांकि, भारत सरकार ने इसका खंडन कर दिया। सरकार ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच आखिरी बार 4 अप्रैल को हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा के मुद्दे पर बात हई थी।
भारत ने ठुकराई ट्रम्प की पेशकश
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से सीमा को लेकर चल रहे विवाद में भारत ने अमेरिका का ऑफर ठुकरा दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, हम शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन से संपर्क में हैं। उन्होंने कहा था, भारत ने इस मामले में भारतीय सैनिकों ने बॉर्डर मैनेजमेंट का बड़ी जिम्मेदारी के साथ सम्मान किया है। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिक अनुशासन का प्रदर्शन तो कर रहे हैं लेकिन भारतीय संप्रभुता की रक्षा से किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं होने देंगे।
नर्म पड़ा चीन
करीब 1 महीने से चले आ रहे विवाद के बीच बुधवार को चीन के सुर नर्म दिखे थे। चीनी विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने की बात कही। उधर, चीन के भारत में राजदूत सन विडोंग ने भी मतभेदों को बातचीत के जरिए दूर करने के संकेत दिए। उन्होंने कहा, चाइनीज ड्रैगन और भारतीय हाथी एक साथ डांस कर सकते हैं। विडोंग ने कहा, भारत और चीन कोरोना के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं। हम पर अपने रिश्तों को और मजबूत करने की जिम्मेदारी है।
क्या है विवाद?
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।
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