सार
अमेरिका के New York और New Jersey सहित कुछ शहरों में बुधवार को आए भीषण तूफान में 43 लोगों की मौत की खबर है। अब भी इन शहरों के कई इलाके पानी में डूबे हुए हैं। अमेरिका को यहां इमरजेंसी तक लगानी पड़ी है।
न्यूयॉर्क. अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी(New York, New Jersey) सहित कुछ शहरों के लिए बुधवार का दिन जैसे प्रलह बनकर सामने आया। यहां तूफान इडा (Hurricane Ida) की चपेट में आकर 43 लोगों की मौत की खबर है। अमेरिकी सरकार ने इमरजेंसी लगाकर रेस्क्यू कार्य तेज किया है। हालात यह हैं कि यहां के कई इलाके अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि न्यूयॉर्क में बाढ़ और लुइसियाना(Louisiana) में तेज हवाओं के कारण यहां जलवायु संकट बना हुआ है।
भारी बारिश से नदियां उफनीं
गुरुवार को यहां भारी बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इसके बाद घरों में पानी भर गया। सड़कों पर गाड़ियां उतराते दिखीं। गुरुवार सुबह मेरीलैंड से कनेक्टिकट तक तूफान की चपेट में आकर 43 लोगों की मौत हो गई। कुछ मीडिया यह संख्या 45 बता रहे हैं। अकेले पेन्सिलवेनिया में 5 लोगों की मौत हुई।
इडा तूफान को देखते हुए न्यूयॉर्क के मेयर बिल डी ब्लासियो ने बुधवार देर रात को ही न्यूयॉर्क शहर में इमरजेंसी लगा दी थी। गवर्नर कैथी होचुल ने भी न्यूयॉर्क प्रांत के लिए स्टेट इमर्जेंसी का ऐलान कर दिया था।
(तस्वीर क्रेडिट न्यूयॉर्क टाइम्स से )
जलवायु परिवर्तन से बदल रहा मौसम का मिजाज
जलवायु परिवर्तन(climate change) के कारण मौसम का मिजाज लगाताार बदल रहा है। भारत और दूसरे कई देशों में ऐसी बाढ़ आई हुई है, तो कहीं जंगल आग में धधक रहे हैं। जलवायु परिवर्तन (climate change) देश-दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। दुनियाभर के देश इस समस्या का सामना कर रहे हैं। कहीं रिकॉर्ड बारिश होने से बाढ़ आई हुई, तो कहीं गर्मी के कारण जंगल धधक रहे हैं। आशंका है कि आने वाला समय और मुसीबत वाला साबित होगा।
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जुलाई में यूरोप से लेकर एशिया और नॉर्थ अमेरिका से लेकर रूस तक करीब 40 देशों में बाढ़ आई थी। इनमें चीन, न्यूजीलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड भी शामिल थे। जबकि कई देश सूखे और गर्मी हवाओं की मार झेलते रहे। हैरानी की बात है कि रूस का साइबेरिया; जहां हमेशा ठंड रहती है, वहां भी अब गर्मी पड़ने लगी है। मई 2021 में एक रिपोर्ट जारी की गई थी, इसमें क्लाइमेट चेंज के कारण जंगलों में लगती आग को लेकर चिंता जताई गई थी। जुलाई में साबेरिया के 216 जंगलों में आग लगी थी।