सार
इस साल की शुरुआत में ही मेक्सिको और आयरलैंड के साथ भारत को दो साल तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थायी सदस्य चुने जाने के बाद उसने अमेरिका से व्यापक वार्ता की। भारत ने हाल ही में आयोजित टू प्लस टू वार्ता के तहत लोकतंत्र, बहुलतावाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों को देखते हुए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई।
नई दिल्ली. इस साल की शुरुआत में ही मेक्सिको और आयरलैंड के साथ भारत को दो साल तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थायी सदस्य चुने जाने के बाद उसने अमेरिका से व्यापक वार्ता की। भारत ने हाल ही में आयोजित टू प्लस टू वार्ता के तहत लोकतंत्र, बहुलतावाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों को देखते हुए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई।
भारत सुरक्षा परिषद में वकालत करता रहा
दरअसल, भारत-अमेरिका दोनों ही देशों ने यूएनएससी के एजेंडे पर हुई व्यापक चर्चा में साझा मूल्यों पर विशेष फोकस किया। अमेरिका आगामी कार्यकाल में गैर-स्थायी सदस्य के तौर पर भारत के साथ मिलकर काम करने पर सहमत रहा। मालूम हो कि भारत सुरक्षा परिषद में कुछ सुधारों की वकालत करता रहा है।
सुरक्षा परिषद में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं
भारत का कहना है कि सुरक्षा परिषद की संरचना मौजूदा हकीकतों को परिलक्षित नहीं करती है। उसमें पर्याप्त प्रतिनिधित्व भी नहीं है। अमेरिका के साथ बुधवार और गुरूवार को हुई दो दिवसीय वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (अंतरराष्ट्रीय संगठन एवं सम्मेलन) विनय कुमार ने किया तो वहीं अमेरिकी दल का नेतृत्व वहां के अंतरराष्ट्रीय संगठन मामलों के ब्यूरो की अधिकारी पामेला डी प्रियोर ने किया।
चीन ने हमेशा किया भारत का विरोध
गौरतलब है कि यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य समेत कुल 15 सदस्य हैं। इसके स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। परिषद में चीन एकमात्र ऐसा स्थायी सदस्य है जो इस इकाई में भारत के शामिल होने का विरोध करता है। बता दें कि इसके 10 अस्थायी सदस्यों में से आधे सदस्य हर साल दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।