सार
मोसाद सीआईए के बाद पश्चिम में दूसरी सबसे बड़ी जासूसी एजेंसी है। इसका सालाना बजट 3 बिलियन डॉलर है। इसके पास 7000 अधिकारी और एजेंट्स हैं।
तेल अवीव। फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला कर दुनिया को चौंका दिया है। इसके बाद से सवाल उठ रहे हैं कि 3 बिलियन डॉलर के सालाना बजट और 7,000 अधिकारियों वाले मोसाद को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिली? सीआईए के बाद पश्चिम में दूसरी सबसे बड़ी जासूसी एजेंसी मोसाद क्यों हमला रोक नहीं पाई?
कैसे काम करता है मोसाद?
मोसाद इजरायली खुफिया एजेंसी है। इसका सालाना बजट करीब 3 बिलियन डॉलर है। इसके पास 7000 अधिकारी और एजेंट्स हैं। मोसाद का नेतृत्व डेविड "दादी" बार्निया के हाथ में है। वह जून 2021 में मोसाद प्रमुख के रूप में योसी कोहेन के उत्तराधिकारी बने थे। मोसाद के कई विभाग हैं, लेकिन इसकी आंतरिक संरचना की अधिकतर जानकारी दुनिया को नहीं है। इसका न केवल फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों के अंदर, बल्कि लेबनान, सीरिया और ईरान जैसे देशों में भी मुखबिरों और एजेंटों का नेटवर्क है।
मोसाद के विभाग
- कलेक्शन डिपार्टमेंट- इसका काम जासूसी करना और जानकारी जुटाना है।
- राजनीतिक कार्रवाई और संपर्क विभाग- इसका काम राजनीतिक गतिविधियों को अंजाम देना और मित्र देशों के साथ काम करना है।
- स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन- इसे मेत्साडा के नाम से भी जाना जाता है। इसका काम इजरायल के दुश्मनों की हत्याएं करना है।
- एलएपी (लोहामा साइकोलोगिट) विभाग- यह मनोवैज्ञानिक युद्ध के लिए जिम्मेदार है।
- अनुसंधान और दैनिक स्थिति रिपोर्ट विभाग- इसका काम साप्ताहिक और मासिक खुफिया रिपोर्ट तैयार करना है।
- टेक्नोलॉजी विभाग- इसका काम मोसाद को उन्नत तकनीक से लैस करना है।
हमला रोकने में फेल हो गया मोसाद
हमास का हमला रोकने में विफल रहने के बाद से मोसाद सवालों के घेरे में है। सवाल उठाए गए हैं कि कैसे हमास इजरायली खुफिया एजेंसी की जानकारी के बिना हजारों रॉकेट जमा करने में कामयाब हो गया।
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गाजा-इजरायल सीमा पर कैमरे, ग्राउंड-मोशन सेंसर और नियमित सेना गश्त सहित उच्च तकनीक सुरक्षा उपायों के बावजूद हमास घुसपैठ करने में सफल रहा। जिस 'लोहे की दीवार' को अभेद्य बताया जा रहा था उसे बुलडोजर से तोड़ दिया गया। हमास के लड़ाके बाड़ काटकर और नावों व पैराग्लाइडर से इजरायल में घुसने में सफल रहे।
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हमले का पैमाना और जिस जटिलता के साथ इसे अंजाम दिया गया, इससे पता चलता है कि हमास ने महीनों से इसकी तैयारी की। इफरायल की खुफिया एजेंसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। लोग इसकी तुलना न्यूयॉर्क में 9/11 के हमलों से कर रहे हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए इसे रोकने में नाकाम रही थी।