सार
रविवार को करतारपुर कॉरिडोर के जरिए करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्री शुरू होनी थी, पर एक बार फिर पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगा दिया। इस बार पाकिस्तान ने फीस वसूली का अड़ंगा लगाया है।
नई दिल्ली. रविवार को करतारपुर कॉरिडोर के जरिए करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्री शुरू होनी थी, पर एक बार फिर पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगा दिया। इस बार पाकिस्तान ने फीस वसूली का अड़ंगा लगाया है। पाकिस्तान हर यात्री से 20 डॉलर यानी करीबन 1400 रुपये की फीस लेना चाहता है। भारतीय अधिकारियों ने इसका विरोध किया है और फीस कम करने की मांग की है पर पाकिस्तान अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। शनिवार तक भारत और पाकिस्तान के बीच इस मुददे से जुड़े सभी पहलुओं पर सहमति बनने की उम्मीद थी पर पाकिस्तान अपनी जिद पर अड़ा हुआ है।
टाइमिंग और फीस को लेकर नहीं बन रही सहमति
भारत और पाकिस्तान करतारपुर साहिब के दर्शन की टाइमिंग और फीस को लेकर सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान से प्रति यात्री 20 डॉलर की फीस वसूले जाने को लेकर एक बार फिर से विचार करने को कहा है। साथ ही पाकिस्तान हर दिन 5000 यात्रियों को दर्शन की अनुमति दे रहा है, पर भारत ने 10,000 यात्रियों को दर्शन की अनुमति देने की मांग की है। इसके अलावा भारत ने हर दिन भारतीय प्रॉटोकॉल ऑफिसर के भी दौरे की अनुमति मांगी है।
9 नवंबर से खुलेगा कॉरिडोर
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने एलान किया है कि 9 नवंबर से करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया जाएगा। यह कॉरिडोर करतारपुर के दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक धर्मस्थल से जोड़ेगा। इस कॉरिडोर के जरिए भारत के श्रद्धालु बिना किसी वीजा के पाकिस्तान में जाकर दर्शन कर सकेंगे। करतारपुर साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बस एक परमिट की जरूरत होगी।
1522 में हुई थी स्थापना
1522 में पहले सिख गुरु नानक देवजी ने करतारपुर साहिब की स्थापना की थी। करतारपुर कॉरिडोर का भारतीय सीमा से लेकर करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब तक का हिस्सा पाकिस्तान बना रहा है, जबकि पंजाब के डेरा बाबा नानक से सीमा तक गलियारे का दूसरा हिस्सा भारत बना चुका है।