सार
म्यांमार(Myanmar) में 22 दिसंबर को एक भयंकर हादसा हुआ है। यहां की जेड खदान में भूस्खलन से 100 से अधिक लोग लापता हैं। आशंका है कि कइयों की मौत हो गई है। भारतीय समाचार एजेंसी ANI ने शिन्हुआ न्यूज के हवाले से यह खबर दी है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
यांगून. उत्तरी म्यांमार(Myanmar) में एक जेड खदान(jade stone) में 22 दिसंबर की सुबह करीब 4 बजे भूस्खलन(Landslide) हो गया। इस हादसे में 100 से अधिक लोग लापता हैं। आशंका है कि इनमें से कइयों की मौत हो गई है। 25 से अधिक घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे के बाद रेस्क्यू टीम के 200 सदस्य मौके पर पहुंचे। रेस्क्यू टीम के एक सदस्य के मुताबिक हादसा काचिन राज्य की हपकांत खदान में सुबह करीब 4 बजे हुआ।। बता दें कि म्यांमार में पिछले साल जुलाई में भारी बारिश की वजह से काचिन राज्य की एक खदान में लैंडस्लाइड हुई थी। इस हादसे में करीब 300 लोगों की जान चली गई थी।
भूले नहीं है लोग पिछला हादसा
म्यांमार में पिछले साल जुलाई में जेड खदान में भूस्खलन हुआ था। पिछले साल म्यांमार में भारी बारिश हुई थी। इसमें 100 लोग तो सिर्फ जमीन के अंदर ही दफन हो गए थे। बता दें कि म्यांमार में बड़ी संख्या में जेड खदान हैं। जेड या हरिताश्म एक चमकीला पत्थर है। यह दो भिन्न तरह के सिलिकेट खनिजों से बना पत्थर होता है। नेफ्राइट जेड में कैल्शियम एवं मैग्नेशियम बहुल एम्फीबोल खनिज, एक्टीनोलाइट होता है। दूसरा जेडिटाइट में पूर्णतया जेडियाइट, एक अल्यूमिनियम बहुल पायरॉक्सीन होता है। देखेने में यह एक पारदर्शी या पाराभासी हरा पत्थर होता है। अँग्रेजी का शब्द जेड स्पेनिश शब्द पीड्रा दे इजाड से निकला है। यह कमर एवं गुर्दे की कई बीमारियों के इलाज में प्रयोग होता था।
यह भी जानें
टाउनशिप के अधिकारी ने सिन्हुआ को बताया कि जब लोग खदान में काम कर रहे थे, तब यह हादसा हुआ। मिट्टी में कितने लोग दबे, इसका अभी पता नहीं चल पाया है। बचाव कार्य जारी है। बता दें कि काचिन राज्य में अकसर लैंडस्लाइड की घटनाएं होती रहती हैं। जेड भूस्खलन के तौर पर जाना जाता है। नवंबर 2015 में इसी क्षेत्र में एक बड़ा भूस्खलन हुआ था। तब हादसे में करीब 116 लोगों की मौत हो गई थी।
यह भी पढ़ें
Philippines Typhoon Update: सबकुछ उड़ा ले गया तूफान; पर इन हंसते-खेलते मासूमों ने दिया संदेश-'डरने का नहीं'
अमेरिका के कैलिफोर्निया में 6.2 तीव्रता का भूकंप; 20 सेकंड तक कांपती रही धरती; साल 2010 के बाद ऐसा झटका