सार

शराब कारोबारी विजय माल्या भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अपनी अपील पर सुनवाई के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को यहां रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंच गया। इस दौरान अभियोजन किंगफिशर एयरलाइन के पूर्व प्रमुख के खिलाफ “बेईमानी के काफी सबूत” होने की बात स्थापित करने संबंधी अपनी दलीलों को पूरा करेगा।

लंदन. शराब कारोबारी विजय माल्या भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अपनी अपील पर सुनवाई के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को यहां रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंच गया। इस दौरान अभियोजन किंगफिशर एयरलाइन के पूर्व प्रमुख के खिलाफ “बेईमानी के काफी सबूत” होने की बात स्थापित करने संबंधी अपनी दलीलों को पूरा करेगा।

अदालत पहुंचते ही माल्या ने कहा अब अच्छा महसूस हो रहा है

माल्या भारत में 9000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में वांछित हैं। उसने बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं चुकाया था। उसने अदालत में प्रवेश करते हुए कहा कि उसे ‘अच्छा’ महसूस हो रहा है।

भारत सरकार की ओर से पेश हो रही राजशाही अभियोजन सेवा (सीपीए) माल्या के वकील के उस दावे का खंडन करने के लिए सबूतों को उच्च न्यायालय लेकर गई है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनॉट ने यह गलत पाया कि माल्या के खिलाफ भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

जस्टिस ने कहा मामला जटिल है विचार करके फैसला दिया जाएगा

सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने बृहस्पतिवार को बहस शुरू करते हुए कहा, “ उन्होंने (किंगफिशर एयरलाइन ने बैंकों को) लाभ की जानबूझकर गलत जानकारी दी थी।” लार्ड जस्टिस स्टेफन ईरविन और जस्टिस इलिसाबेथ लाइंग ने कहा कि वे “बहुत जटिल’ मामले पर विचार करने के बाद किसी ओर तारीख को फैसला देंगे।”

दो न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है

माल्या प्रत्यर्पण वारंट को लेकर जमानत पर है। उसके लिए यह जरूरी नहीं है कि वह सुनवाई में हिस्सा ले, लेकिन वह अदालत आया। वह मंगलवार से ही सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए आ रहा, जब अपील पर सुनवाई शुरू हुई थी। बचाव पक्ष ने इस बात को खारिज किया है कि माल्या पर धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

बचाव पक्ष का जोर इस बात पर रहा कि किंगरफिशर एयरलाइन आर्थिक दुर्भाग्य का शिकार हुई है, जैसे अन्य भारतीय एयरलाइनें हुई हैं। समर्स ने दलील दी कि 32000 पन्नों में प्रत्यर्पण के दायित्वों को पूरा करने के लिए सबूत हैं। उन्होंने कहा कि न केवल प्रथम दृष्टया मामला बनता है, बल्कि बेईमानी के अत्यधिक सबूत हैं । जिला न्यायाधीश (अर्बुथनॉट) विस्तार से सबूत रखे गए थे और फैसला भी व्यापक और विस्तृत है जिसमें गलतियां है, लेकिन इसमें प्रथम दृष्टया मामले पर कोई असर नहीं पड़ता है।

अपील पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और लंदन में भारतीय उच्चायोग के अधिकारी मौजूद रहे।

(ये खबर पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिन्दी न्यूज ने सिर्फ हेडिंग में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)