सार
नेपाल की रहने वाली एक महिला नवंबर, 2018 से मिसिंग थी। उसके परिजनों ने खूब खोजा, लेकिन वो नहीं मिली। अब उसके परिजनों को पता चला कि वो असम की एक जेल में बंद है, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वर्ल्ड न्यूज. भला कोई बच्चे अपनी मां को जेल में देखकर खुश कैसे हो सकते हैं, लेकिन यहां मामला बिलकुल अलग है। नेपाल की रहने वाली एक महिला नवंबर, 2018 से मिसिंग थी। उसके परिजनों ने खूब खोजा, लेकिन वो नहीं मिली। अब उसके परिजनों को पता चला कि वो असम की एक जेल में बंद है, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल, वे तो उसे मरा हुआ मान चुके थे। हालांकि उसकी उसकी खोजबीन जारी रही। पढ़िए मां के मिलने की कहानी...
अवैध रूप से भारत में घुसने पर पकड़ी गई थी
लापता महिला जन्नत खातून का बेटा फिरोज लेहेरी (26) नेपाल के सरलाही जिले के लक्ष्मीपुर क्षेत्र से आता है, जो बिहार की सीमा से लगा हुआ है। उसने अपनी मां को खोज निकाला है, जो नवंबर 2018 से लापता थी। उसकी मां असम के कछार जिले की एक जेल में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के कारण बंद है।
यह खबर मिलने पर बेटे की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां जन्नत खातून सिलचर सेंट्रल जेल के ट्रांजिट कैंप में बंद है। उससे मिलने लहरी, उसकी भाभी अनवर लेहरी और एक रिश्तेदार सोहाना खातून 9 जनवरी को सिलचर पहुंचे थे। अब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल है। इंडिया टुडे ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है।
हुआ यूं था जन्नत खातून के साथ
जन्नत खातून को कथित तौर पर नवंबर 2018 में कछार जिले के कटिगोरा क्षेत्र में भारतीय सीमा में घुसते हुए पकड़ा गया था।कानूनी प्रक्रियाओं के बाद उसे सिलचर सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। मुकदमे के समापन पर अदालत ने उसे दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जो 27 दिसंबर, 2020 को समाप्त हो गई। हालांकि उसके बाद से उसे सेंट्रल जेल ट्रांजिट कैंप में रखा गया है।
जेल से रिहा होने के बाद सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट ने अधिकारियों को लिखा था। हालांकि जन्नत खातून को उसके मूल देश में वापस लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। फिरोज के पिता जॉनिफ लहरी का कुछ साल पहले निधन हो गया था। उसकी मौत के बाद से उसकी मां परिवार का पालन पोषण कर रही थी।
दिमागी हालत ठीक नहीं है
फिरोज ने बताया-"मेरी मां को 2018 में सिर में चोट लगी थी। उसके बाद वह मानसिक रूप से अस्थिर हो गई, और वह एक दिन घर से गायब हो गई। हमने हर जगह देखा लेकिन वह नहीं मिली। हमने हरिपुर पुलिस स्टेशन में एक गुमशुदगी की शिकायत भी दर्ज की, जो हमारे पड़ोस में स्थित है। हालांकि, हम उसका पता लगाने में असमर्थ रहे।"
हालांकि खोजबीन जारी रही
तमाम कोशिशों के बावजूद फिरोज ने अपनी मां से फिर कभी मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन समय-समय पर खोजबीन करते रहे। कई महीने पहले उन्हें पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग जिले में बाल सुरक्षा अभियान के माध्यम से पता चला कि उनकी मां को सिलचर में कैद कर लिया गया है। उसके बाद उन्होंने नेपाली सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया और दूतावास के माध्यम से केंद्र सरकार से संपर्क किया। आखिरकार उन्हें पता चला कि जन्नत खातून को वतन वापस लौटाने का सिलसिला शुरू हो गया। परिणामस्वरूप, वे सिलचर की ओर दौड़ पड़े। फिरोज ने कहा, "मेरी मां यह सुनकर बहुत खुश हैं कि वह घर लौट सकती हैं।"
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