सार

नेपाल में आम चुनाव को लेकर तारीख सामने आ चुके हैं। हालांकि, केंद्रीय चुनाव आयोग के सुझाव पर नेपाल सरकार को तय करना है। आयोग इस बार एक ही फेज में फेडरल व प्रॉविंशियल चुनाव कराने के पक्ष में हैं। पिछली बार दो चरणों में चुनाव कराए गए थे। 

काठमांडू। नेपाल (Nepal) में आम चुनाव कराने के लिए तारीखों का सुझाव दे दिया है। नेपाल के मुख्य चुनाव आयुक्त दिनेश कुमार थपलिया (CEC Dinesh Kumar Thapaliya) ने सरकार को 18 नवंबर को संघीय और प्रांतीय चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों के अनुसार थपलिया के नेतृत्व में चुनाव आयोग के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) से मुलाकात की और 18 नवंबर को प्रांतीय और संघीय संसद के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव रखा। देउबा ने कहा कि वह इस संबंध में जल्द से जल्द निर्णय लेने के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान इस मामले पर चर्चा करेंगे।

चुनाव आयोग की सिफारिश के अनुसार तय होंगी तारीखें

चुनाव आयोग के प्रवक्ता शालिग्राम शर्मा पौडेल ने कहा कि सरकार चुनाव आयोग की सिफारिश के अनुसार तारीख तय करती है। संघीय और प्रांतीय संसदों के सदस्यों का कार्यकाल 8 दिसंबर, 2022 को समाप्त हो रहा है। हालांकि, 2017 में पिछले संघीय और प्रांतीय और स्थानीय चुनाव दो अलग-अलग तारीखों - 26 नवंबर और 7 दिसंबर को हुए थे। लेकिन चुनाव आयोग इस बार एक ही चरण में दो चुनावों का लक्ष्य बना रहा है। आयोग ने कहा कि एक ही चरण में चुनाव कराना लागत प्रभावी होने के साथ-साथ प्रबंधन की दृष्टि से आसान भी होगा।

राष्ट्रपति ने भंग कर दी थी संसद, चुनाव का कर दिया था ऐलान लेकिन...

20 दिसंबर 2020 को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर सदन भंग कर दिया गया था। यही नहीं 30 अप्रैल और 10 मई 2021 वोटिंग की तारीखों का ऐलान भी कर दिया गया था। लेकिन इस फरमान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 23 फरवरी 2021 को प्रतिनिधि सभा बहाल कर दिया। लेकिन 22 मई 2021 को राष्ट्रपति द्वारा कैबिनेट की सिफारिश पर फिर से सदन को भंग करने के साथ 12 और 19 नवंबर को चुनाव का ऐलान कर दिया। इसके बाद संविधान को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर 12 जुलाई 2021 को प्रधानमंत्री के नियुक्ति का आदेश देने के साथ प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रतिनिधि सभा बहाल होने के साथ पीएम के रूप में शेर बहादुर देउबा को शपथ दिलाई गई।

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