सार

पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। अब उस पर फाइनेंशियल ऐक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का खतरा भी बढ़ गया है। FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप ने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहे पाकिस्तान को Enhanced Follow-Up में बरकरार रखा है। 

इस्लामाबाद. पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। अब उस पर फाइनेंशियल ऐक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का खतरा भी बढ़ गया है। FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप ने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहे पाकिस्तान को Enhanced Follow-Up में बरकरार रखा है। 

APG के इस कदम से साफ हो गया है कि पाकिस्तान इस साल भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा। इसके अलावा उस पर अब ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का भी खतरा मंडराने लगा है। 

40 में सिर्फ 2 शर्तों को पूरा कर पाया पाकिस्तान
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाया कि पाकिस्तान FATF की ओर से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खत्म करने के लिए दिए गए सुझावों के मुताबिक अब तक कोई ठोक कदम नहीं उठा पाया है। एपीजी ने पाकिस्तान को लेकर एक रिपोर्ट भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ की 40 सिफारिशों में सिर्फ 2 पर ही प्रगति हुई है। 

एक साल में कोई बदलाव नहीं आया
एशिया पैसिफिक ग्रुप ने 12 पेज की रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के सिफारिशों को पूरा करने में एक साल में कोई बदलाव नहीं आया है। इसी के साथ एपीजी ने ऐलान किया है कि पाकिस्तान  'Enhanced Follow-Up' लिस्ट में बना रहेगा। इसके अलावा पाकिस्तान को 40 निर्देशों को लागू करने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में रिपोर्ट भी देनी होगी। 

21 अक्‍टूबर से 23 अक्‍टूबर के बीच होगी रिव्यू मीटिंग
एफएटीएफ की वर्चुअली मीटिंग 21 अक्‍टूबर से 23 अक्‍टूबर के बीच होनी है। एपीजी की रिपोर्ट के बाद पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में बना रहना निश्चित हो गया है। इसके साथ ही अब उस पर ब्लैक लिस्ट में खतरा मंडराने लगा है। इससे पहले पाकिस्तान ने पिछले 18 महीने में निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों के नाम हटा दिए थे। ताकि वह एफएटीएफ की नजरों से बच सके। 

18 महीने में हटाए 4000 नाम
अमेरिकी अखबार वॉल स्‍ट्रीट जनरल की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान की नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉर्टी इस लिस्ट को देखती है। इस संस्था का मुख्य काम है कि वित्तीय संस्थान इन संदिग्ध आतंकियों के साथ किसी भी तरह का बिजनेस ना करें। इस लिस्ट में 2018 में 7600 नाम रखे गए थे। अब तक इन्हें घटाकर 3800 कर दिया गया है। इस साल मार्च से लेकर अब तक 1800 नाम हटाए गए हैं।