सार
सऊदी अरब (Saudi Arabia ) के प्रस्ताव पर बुलाए गए इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) के 17वें विशेष सत्र की मेजबानी पाकिस्तान (Pakistan) कर रहा है। इसका उद्देश्य अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति को दुनिया के सामने लाना है।
इस्लामाबाद। अफगानिस्तान (Afganistan) से अमेरिकी (American) और नाटो (Nato) सैनिकों की वापसी के बाद से वहां के हालात बिगड़ चुके हैं। तालिबानी अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट का सामना कर रही है। करीब 2.3 करोड़ लोग भुखमरी के संकट में हैं। इसे देखते हुए मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने रविवार को पाकिस्तान की मेजबानी में एक विशेष बैठक की। इन देशों ने माना कि अफगानिस्तान की स्थिति बेहद खराब है। इस दौरान पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अमेरिका और नाटो देशों से कदम उठाने की अपील की।
सऊदी अरब के प्रस्ताव पर बुलाए गए इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) के 17वें विशेष सत्र की मेजबानी पाकिस्तान (Pakistan) कर रहा है। इसका उद्देश्य अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति को दुनिया के सामने लाना है। दिनभर चलने वाले इस सम्मेलन में 70 से अधिक प्रतिनिधिनियों ने हिस्सा लिया। खुद पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका से अफगानिस्तान के 4 करोड़ लोगों और तालिबान के प्रति अपनी नीति को अलग करने के लिए कहा और अफगान लोगों की मदद करने मांग की। इमरान ने कहा कि अगर दुनिया ने कदम नहीं उठाया तो यह सबसे बड़ा मानव निर्मित संकट होगा, जो हमारे सामने आ रहा है।
2.3 करोड़ लोग कर रहे भुखमरी का सामना
बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की ओर से मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने अफगान समस्या का बहुत ही खतरनाक परिदृश्य दिखाया। उन्होंने कहा- अफगान अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है, तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। करीब 2.3 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
क्यों बिगड़े हालात
तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को चुनी हुई सरकार से सत्ता छीनकर देश को कब्जे में ले लिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विदेशों में अरबों डॉलर की संपत्ति के लेन-देन पर रोक लगा दी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान के लिए सभी तरह के वित्तपोषण को रोक दिए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान को मान्यता नहीं दी है, ऐसे में वहां के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अमेरिका के पास अफगानिस्तान का जो पैसा था, वह भी उसने रोक लिया है।
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