सार

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) तीन सप्ताह से अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी बीमारी (Amyloidosis) ऐसे स्टेज पर पहुंच गई है जहां से रिकवर होना मुश्किल है। उनके शरीर के अंग एक-एक कर काम करना बंद कर रहे हैं।

नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) अस्पताल में भर्ती हैं। उनके अंग काम करना बंद कर रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि उनका अब फिर से ठीक होना मुश्किल है। उनके परिवार ने लोगों से अपील की है कि वे प्रार्थना करें ताकि जनरल मुशर्रफ का जीवन आसान हो। पाकिस्तान के कोर्ट ने उन्हें राजद्रोह के मामले में फांसी की सजा दिया था। मार्च 2016 में वह पाकिस्तान छोड़कर दुबई चले गए थे। इसके बाद से फिर कभी अपने देश नहीं लौटे। हालांकि दुबई में उन्होंने कई ऐसे इंटरव्यू दिए, जिसका असर पाकिस्तान पर पड़ा। 

एक ऐसा ही इंटरव्यू उन्होंने नवंबर 2019 में दिया था। इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया था कि भारत में होने वाली आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद जैसे जिन लोगों को पूरी दुनिया आतंकी मानती है वे पाकिस्तान के हीरो थे। 

ओसामा बिन लादेन हमारा हीरो था
परवेज मुशर्रफ ने अपने इंटरव्यू में दुनिया में धार्मिक आतंकवाद  को बढ़ावा देने में पाकिस्तान के रोल को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा था कि धार्मिक आतंकवाद को पाकिस्तान ने ही शुरू किया था। 1979 के दौर में इसे शुरू किया गया था। परवेज मुशर्रफ ने कहा था, "पाकिस्तान के भले के लिए हमने एक धार्मिक आतंकवाद शुरू किया था ताकि अफगानिस्तान से सोवियत रूस को निकाला जा सके। हम पूरी दुनिया से मुजाहिदीन लाए। हमने तालिबान को प्रशिक्षण दिया। उन्हें हथियार दिए। वो हमारे हीरो थे। हक्कानी हमारे हीरो हैं। ओसामा बिन लादेन हमारा हीरो था। जवाहिरी (अयमन अल जवाहिरी) हमारा हीरो था। उस समय माहौल अलग था। अब माहौल बदल गया है। अब वो जो हीरो थे विलेन बन गए हैं।"

 

 

 

पाकिस्तान ने आतंकियों को दिया ट्रेनिंग
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की बात करते हुए मुशर्रफ ने कहा था, "कश्मीर की बात करते हैं। हाफिज सईद की बात करते हैं। 1990 में कश्मीर में आजादी की लड़ाई शुरू हुई। उनको बुरी तरह भारतीय सेना द्वारा मारा गया। वो भागकर पाकिस्तान आ गए। पाकिस्तान में हीरो की तरह उनका स्वागत किया गया। हम उन्हें ट्रेनिंग और समर्थन दे रहे थे। हम कहते थे कि ये मुजाहिदीन हैं जो भारतीय सेना से अपने हक के लिए लड़ेंगे। इस दौरान पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा बनी। 10-12 और भी संगठन बने। वो हमारे हीरो थे। ये लोग अपनी जान पर खेलकर कश्मीर में लड़ रहे थे।

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