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PM Modi France Visit: Bastille Day परेड में दिखा भारत की तीनों सेनाओं का शौर्य, राफेल की गर्जना ने सुनाई नए भारत की गूंज- 12 PHOTOS
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बैस्टिल डे परेड में पहुंचे नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैस्टिल डे परेड में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। उनकी सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। परेड शुरू हुई और करीब 6000 जवानों ने मार्चपास्ट किया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन भी परेड ग्राउंड पर पहुंचे और खुली जीप में सवार होकर परेड का आगाज किया।
एयरफोर्स की सिंधू रेड्डी से मिले पीएम मोदी
पीएम मोेदी ने फ्रांस में बैस्टिल डे परेड के दौरान भारतीय वायुसेना की महिला पायलट सिंधु रेड्डी से मुलाकात की है। फ्रांस की धरती पर भारत की महिला शक्ति का भी पॉवर देखने को मिला। इस दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति एनामुएल मैंक्रो भी मौजूद रहे।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने हिंदी में किया ट्वीट
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने हिंदी में ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट किया कि भारत और फ्रांस 25 साल की रणनीतिक साझेदारी तथा विश्वास और दोस्ती के सदैव मजबूत बंधन का जश्न मना रहे हैं। प्रिय नरेंद्र मोदी पेरिस में हार्दिक स्वागत है।
भारतीय सेना के जवानों से मिले पीएम मोदी
पीएम मोदी फ्रांस के बैस्टिल परेड में शामिल हुए और भारतीय सेना के कई जवानों से मिले। जानकारी के लिए बता दें कि फ्रांस के बैस्टिल डे परेड में भारत की तीनों सेनाओं ने हिस्सा लिया है। यह भारत के लिए बड़े ही गर्व का विषय रहा।
पीएम मोदी- मैंक्रो की दोस्ती भी दिखी
फ्रांस दौरे के दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के गौरवशाली बैस्टिल डे परेड की सलामी ली। इस दौरान इंडियन एयरफोर्स के राफेल विमानों की गर्जना से पूरा आसमान गूंज उठा। भारत के पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैंक्रों की दोस्ती भी दिखाई दी।
राफेल जेट गरजे पीएम मोदी ने ली सलामी
फ्रांस के बैस्टिल डे परेड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सलामी ली। इस दौरान फ्रांस के नेशनल डे परेड में भारतीय सेना का दस्ता भी शामिल हुआ। चैम्प्स एल्सीज यानी फ्रांसीसी राजपथ पर भारतीय वायुसेना के 3 राफेल फाइटर जेट ने फ्रांस के लड़ाकू विमानों के साथ फ्लाईपास्ट किया।
भारतीय सेना का दस्ता भी हुआ शामिल
फ्रांस के नेशनल डे पर परेड में शामिल पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना के दस्ते की सलामी ली। फ्रांसीसी नेशनल डे पर भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट का 77 मार्चिंग दस्ता और बैंड के 38 जवान भी शामिल हुए। सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कैप्टन अमन जगताप, नौसैनिक दल को नेतृत्व कमांडर व्रत बघेल लीड ने किया। फ्रांस में इंडियन एयरफोर्स के दस्ते का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर सिंधु रेड्डी ने किया।
भारत के लिए यह ऐतिहासिक क्षण रहा
फ्रांस का बैस्टिल डे परेड ठीक उसी तरह का होता है, जैसे भारत में गणतंत्र दिवस की परेड आयोजित की जाती है। इस परेड में कुल तीन राफेल जेट विमानों ने हिस्सा लिया और जन गण मन अधिनायक जय हे का गीत भी वहां पर गूंजा है।
14 जुलाई को है फ्रांस का सबसे बड़ा दिन
14 जुलाई 2023 को फ्रांस में बैस्टाइल डे परेड का आयोजन किया जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके मुख्य अतिथि बनकर वहां पहुंच चुके हैं। फ्रांस के लिए यह दिन बेहद खास होता है, जैसे कि भारत में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया जाता है। बैस्टाइल डे परेड में इस बार भारत की तीनों सेनाएं भी हिस्सा ले रही हैं, जो कि भारत और फ्रांस की दोस्ती का सबूत बनेंगी।
क्या होता है बैस्टिल डे परेड
हर साल फ्रांस के राष्ट्रपति Bastille Day परेड के अवसर पर दुनिया के दिग्गज नेताओं, राष्ट्राध्यक्षों का चयन करके उन्हें आमंत्रित करते हैं। इस बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस खास अवसर पर आमंत्रित किया गया है। इससे पहले साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी यह सम्मान मिल चुका है। नरेंद्र मोदी भारत के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें Bastille Day परेड के लिए आमंत्रित किया गया है।
फ्रांस का राष्ट्रीय गर्व का विषय है यह परेड
फ्रांस में बैस्टाइल डे को ले क्वाटोर्ज जुइलेट के नाम से जाना जाता है। 1880 में फ्रांसीसी इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ों की याद में 14 जुलाई को आधिकारिक राष्ट्रीय अवकाश मनाया जाता है। फ्रांसीसी क्रांति आधिकारिक तौर पर 5 मई 1789 को शुरू हुई। तब किंग लुईस XVI ने टैक्स के लिए एस्टेट जनरल की मीटिंग बुलाई। लेकिन यह मीटिंग फ्रांस के लोगों की खराब लाइफ स्टाइल की बहस में तब्दील हो गई। राजा बनाम प्रजा की इस बहस ने बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया।
फ्रांस की जनता ने 14 जुलाई को किया आंदोलन
फ्रांस की जनता है 14 जुलाई को राजा के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। देश की जनता राजा और उनकी सरकार से बेहद नाराज थी और उन्होंने बैस्टिल जेल पर हमला कर दिया। तब भीड़ ने हजारों कैदियों को मुक्त कर दिया और हथियारों के भंडार तक लूट लिए। इतिहास बताता है कि 16वीं शताब्दी के आसपास फ्रांसीसी राजशाही की पुराने शासन पर यह पहली जीत थी। जिसकी वजह से इस दिवस को गर्व के साथ याद किया जाता है।
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