सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बर्लिन में जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ मुलाकात के बाद कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच हो रही लड़ाई (Russia Ukraine war ) में कोई विजयी नहीं होगा। सभी को नुकसान होगा। विवाद सुलझाने के लिए बातचीत एकमात्र उपाए है। हम शांति के पक्ष में हैं।
बर्लिन। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच वार्ता हुई। इसके साथ ही उन्होंने भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (IGC) के छठे संस्करण में भाग लिया। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच हो रही लड़ाई (Russia Ukraine war) में कोई विजयी नहीं होगा। सभी को नुकसान होगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी दोनों देश आपसी साझेदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं। मुझे खुशी है कि मेरी 2022 की पहली विदेश यात्रा जर्मनी में हो रही है। किसी विदेशी नेता के साथ मेरी पहली टेलीफोन पर बातचीत मेरे मित्र चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ हुई। IGC का होना दर्शाता है कि हम अपने रणनीतिक संबंधों में कितना महत्व रखते हैं। भारत और जर्मनी कई कॉमन मूल्यों को साझा करते हैं। इसके आधार पर पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। पिछली आईजीसी 2019 में हुई थी। इसके बाद विश्व में कई परिवर्तन हुए। कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ। हाल की जियोपॉलिटिकल घटनाओं ने भी दिखाया कि विश्व की शांति और स्थिरता कितनी नाजुक स्थिति में है और सभी देश एक-दूसरे से कितने जुड़े हुए हैं।
बातचीत विवाद सुलझाने का एकमात्र उपाये
पीएम ने कहा कि यूक्रेन के संकट के आरंभ से ही हमने तुरंत युद्ध विराम का आह्वान किया। इस बात पर जोड़ दिया था कि विवाद सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र उपाये है। हमारा मानना है कि इस युद्ध में कोई विजयी पार्टी नहीं होगी। सभी को नुकसान होगा। इसलिए हम शांति के पक्ष में हैं। यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न उथल-पुथल के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। विश्व में खाद्यान और फर्टिलाइजर की भी कमी हो गई है। इससे विश्व के हर परिवार पर बोझ पड़ा है। विकासशील और गरीब देशों पर इसका असर और गंभीर होगा। इस संघर्ष के मानवीय प्रभाव से भारत बहुत चिंतित है। हमने अपनी तरफ से यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी है। हम अन्य मित्र देशों को भी अन्न निर्यात, तेल आपूर्ति और आर्थिक सहायता के माध्यम से मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।
10 बिलियन यूरो की सहायता देगा जर्मनी
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज छठी IGC में भारत-जर्मनी भागीदारी को एक नई दिशा मिली है। इस आईजीसी ने ऊर्जा और पर्यावरण दोनों क्षेत्रों में हमारे सहयोग को महत्वपूर्ण गाइडेंस दिया है। मुझे विश्वास है कि आज किए गए फैसलों का हमारे क्षेत्र और विश्व के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आज हम इंडो-जर्मनी पार्टनरशिप ऑन ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट लॉन्च कर रहे हैं। इस नई पार्टनरशिप के तहत जर्मनी ने 2030 तक 10 बिलियन यूरो की अतिरिक्त विकास सहायता से भारत के ग्रीन गोल प्लान को सपोर्ट करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैं जर्मनी और चांसलर स्कोल्ज को धन्यवाद देता हूं।
हमने एक ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स भी बनाने का फैसला लिया है। दोनों देशों में ग्रीन हाइड्रोजन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए यह बहुत उपयोगी रहेगा। भारत और जर्मनी दोनों को ही अन्य देशों में डेवलपमेंट कोऑपरेशन का लंबा अनुभव है। आज हमने अपने अनुभवों को जोड़कर तीसरे देशों में संयुक्त परियोजनाओं पर भी काम करने का भी निर्णय लिया है। हमारा यह सहयोग विकासशील विश्व के लिए पारदर्शी और सस्टेनेबल विकास परियोजनाओं का विकल्प प्रदान करेगा।
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वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा भारत
पीएम ने कहा कि पोस्ट कोविड काल में भारत अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे तेज ग्रोथ देख रहा है। हमें विश्वास है कि भारत वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा। हाल ही में हमने बहुत कम समय में यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों पर साइन किए। ईयू (यूरोपीय यूनियन) के साथ भी हम एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रिमेंट) वार्ताओं में शीघ्र प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत के कुशल कामगारों और प्रोफेशनल्स से कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिला है। मुझे विश्वास है कि भारत और जर्मनी के बीच हो रहे कॉम्प्रिहेंसिव माइग्रेशन एंड मोविलिटी पार्टनरशिप एग्रिमेंट से दोनों देशों के बीच आवाजाही सुगम बनेगी।
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