सार
रूस यूक्रेन पर हमले को सैन्य अभियान बता रहा है। क्रेमलिन का कहना है कि यूक्रेन का अमेरिका उसके खिलाफ इस्तेमाल कर रहा था इसलिए यह अभियान चलाया जा रहा है।
मास्को। पिछले साल के नोबेल शांति पुरस्कार के रूसी सह-विजेता दिमित्री मुराटोव (Dmitry Muratov attacked in Russia) पर गुरुवार को लाल रंग फेंककर हमला किया गया। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की खबर को अपने अखबार में कवरेज देते हुए मुराटोव (Nobel Peace Prize co winner Dmitry Muratov) ने साफ तौर पर विरोध किया था। मुराटोव ने विरोध दर्ज कराते हुए युद्ध खत्म होने तक सभी एक्टिविटीज को सस्पेंड कर दिया था।
प्रिंट व ऑनलाइन सभी संस्करण हो गए थे बंद
मुराटोव के नोवाया गज़ेटा खोजी समाचार पत्र ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि वह अपनी ऑनलाइन और प्रिंट गतिविधियों को तब तक निलंबित कर रहा है जब तक कि रूस का यूक्रेन पर हमला, जिसे वह स्पेशल ऑपरेशन बता रहा, खत्म नहीं कर देता।
ट्रेन में हुआ हमला
मुराटोव पर यह हमला उनके ट्रेन में सफर के दौरान किया गया है। टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर उनके अखबार द्वारा पोस्ट की गई तस्वीरों में उनके शरीर पर लाल रंग की स्याही या पेंट साफ दिख रही है। तस्वीरों में मुराटोव के सिर और कपड़ों पर लाल रंग दिख रहा है। मॉस्को-समारा ट्रेन में उनकी बोगी में भी लाल पेंट साफ दिख रहा। अखबार ने मुराटोव के हवाले से कहा कि उन पर लालरंग के रंग में एसीटोन मिलाकर उन पर फेंका गया, इससे उनकी आंख बुरी तरह से जल रही थी। पोस्ट में हमलावर के हवाले से लिखा गया है, "मुरातोव, यह हमारे लड़कों की ओर से आपके लिए है।" दरअसल, फरवरी में मॉस्को द्वारा यूक्रेन में सैनिकों को भेजने के बाद से उदार रूसी मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ दबाव बढ़ गया है।
मीडिया ही नहीं विपक्षी नेताओं को भी धमकी
केवल मीडिया पर ही नहीं सरकार से प्रोत्साहित संस्थाएं कई विपक्षी कार्यकर्ताओं को धमकी दे रही हैं। विपक्षी कार्यकर्ताटों अपार्टमेंट के दरवाजों पर धमकी भरे संदेश लिखे पए जा रहे हैं।
अमेरिका पर रूस ने लगाया यूक्रेन के इस्तेमाल का आरोप
रूस का कहना है कि यूक्रेन में उसका विशेष सैन्य अभियान आवश्यक है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका रूस को धमकी देने के लिए यूक्रेन का उपयोग कर रहा था और मॉस्को को यूक्रेन में रूसी भाषी लोगों को उत्पीड़न से बचाना था।
यूक्रेन और रूस में आलोचकों ने उत्पीड़न के क्रेमलिन के दावों को खारिज कर दिया है और कहा है कि रूस आक्रामकता के एक अकारण युद्ध लड़ रहा है। नाटो और अन्य पश्चिमी सहयोगियों ने रूस पर उसके आक्रमण को लेकर आर्थिक दबाव बनाने के प्रयासों में रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं।
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