सार
पुतिन के अनुरोध पर फेडरेशन काउंसिल के एक सत्र के दौरान उप रक्षा मंत्री निकोले पंकोव ने बताया कि बातचीत रुक गई है। यूक्रेनी नेतृत्व ने हिंसा और रक्तपात का रास्ता अपनाया है।
उन्होंने हमारे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।
मास्को। रूसी संसद के उच्च सदन ने मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में अलगाववादियों का समर्थन करने के लिए देश के बाहर रूसी सेना का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए मतदान किया। कुल 153 रूसी सीनेटरों ने इस फैसले का सर्वसम्मति से समर्थन किया। एक भी सीनेटर ने फैसले के खिलाफ वोट नहीं किया।
रूस द्वारा मान्यता देने के बाद शांति सेना भेजना होगा
दरअसल, यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र के दो क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुगांस्क में अलगाववादियों को समर्थन देते हुए रूस ने दो देशों के रूप में मान्यता दे दी। मान्यता के बाद विद्रोही नेताओं से रूस ने आपसी सहयोग के लिए समझौता किया। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मान्यता के बाद रक्षा मंत्रालय को दोनों मान्यता वाले देशों में शांति कायम रखने के लिए अपनी सेना को शांति सेना के रूप में काम करने का आदेश दिया था।
लेकिन कुछ ही घंटों बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने यह कहा कि वे अभी के लिए पूर्वी यूक्रेन में सेना भेजने की योजना नहीं बना रहे हैं। इसके बाद पुतिन ने फेडरेशन काउंसिल से 2014 से यूक्रेनी सेना से लड़ने वाले अलगाववादियों का समर्थन करने के लिए देश के बाहर सेना के उपयोग को मंजूरी देने के लिए कहा।
फेडरेशन काउंसिल को रक्षा मंत्री ने स्थिति से अवगत कराया
पुतिन के अनुरोध पर फेडरेशन काउंसिल के एक सत्र के दौरान उप रक्षा मंत्री निकोले पंकोव ने बताया कि बातचीत रुक गई है। यूक्रेनी नेतृत्व ने हिंसा और रक्तपात का रास्ता अपनाया है। उन्होंने हमारे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। उप रक्षा मंत्री ने बताया कि नाटो यूक्रेन को आधुनिक हथियारों के साथ सक्रिय रूप से उकसा रहा है। ऐसे में रूस अन्य राज्यों की संप्रभुता की रक्षा के लिए और आक्रामकता के कृत्यों को रोकने के लिए कार्य करेगा।
उन्होंने पुतिन के अनुरोध का हवाला दिया कि डीएनआर और एलएनआर के साथ दोस्ती और सहयोग की संधि के अनुसार, मैं रूस के बाहर रूसी संघ के सशस्त्र बलों का उपयोग करने की सहमति के लिए फेडरेशन काउंसिल द्वारा मंजूरी का प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहा हूं।"
सोमवार को रूस ने दो देशों को दी थी मान्यता
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इन दोनों को अलग देश के रूप में पुतिन ने मान्यता देते हुए अपने रक्षा मंत्रालय को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शांति व्यवस्था का कार्य संभालने का निर्देश दिया।
यह है विवाद की वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।
नाटो क्या है?
नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन(नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वॉशिंगटन में किया गया था। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है। इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था। इसमें फ्रांस, बेल्जियम,लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली,नार्वे, पुर्तगाल, अमेरिका, पूर्व यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी और स्पेन शामिल हैं।
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