सार
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व की चुनौती से निपटने के लिए भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ आए हैं। इन देशों ने 'द क्वैड्रिलेटरल सिक्युरिटी डायलॉग' (The Quadrilateral Security Dialogue) की स्थापना की है। इसे क्वैड (Quad) के रूप में भी जाना जाता है।
इंटरनेशनल डेस्क। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व की चुनौती से निपटने के लिए भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ आए हैं। इन देशों ने 'द क्वैड्रिलेटरल सिक्युरिटी डायलॉग' (The Quadrilateral Security Dialogue) की स्थापना की है। इसे क्वैड (Quad) के रूप में भी जाना जाता है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के सीनियर ऑफिशियल्स ने शुक्रवार को बैठक कर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाने पर चर्चा की। इसके अलावा, कोरोनावायरस महामारी से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। जानकारी के मुताबिक, अगले महीने चारों देशों के विदेश मंत्री टोक्यो में मिल सकते हैं।
कोरोनावायरस और शांति पर चर्चा
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित बैठक में कनेक्टिविटी, इन्फ्रास्ट्रक्टर डेवलपमेंट, सिक्युरिटी, काउंटर-टेररिज्म, साइबर मैरीटाइम सिक्युरिटी और इंडो-पैसिफिक रीजन में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पर चर्चा की गई। अमेरिका ने बयान जारी कर बताया कि चारों लोकतांत्रिक देशों ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने के तरीकों को लेकर चर्चा की। इसके साथ ही, इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते प्रभुत्व से निपटने के तरीकों को लेकर भी चर्चा की गई।
भरोसेमंद 5G वेंडर का होना जरूरी
अमेरिका ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि डिजिटल कनेक्टिविटी और सिक्योर नेटवर्क की अहमियत काफी है और 5G नेटवर्क के विकास के लिए भरोसेमंद वेंडर को प्रमोट किया जा सकता है। गौरतलब है कि चीनी टेलिकॉम कंपनी हुवावे (Huawei) पर अमेरिका में चीनी सरकार के लिए जासूसी का आरोप लगाकर उसे बैन कर दिया गया है।
सिर्फ चीन पर ही नहीं है नजर
अधिकारियों ने दक्षिण चीन सागर के मेकॉन्ग सब-रीजन और इंडो-पैसिफिक रीजन में अंतरराष्ट्रीय कानून, क्षेत्रीय स्थिरता और कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए साथ काम करने के तरीकों पर भी चर्चा की। इससे पहले अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा था कि Quad का मकसद सिर्फ चीन से मिल रहीं चुनौतियों से निपटना ही नहीं है, बल्कि हर क्षेत्र में एक-दूसरे का सहयोग करना है। इसलिए Quad में दूसरे देशों को शामिल करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।