सार

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह दुर्भाग्यपूर्ण तारीख इतिहास के किसी भी अन्य दिन की तुलना में सबसे ज़्यादा मानव जीवन के नुकसान का गवाह बना।

क्या आप सोच सकते हैं कि एक ही दिन में धरती से लगभग दस लाख ज़िंदगियां मिट गईं? क़यामत जैसा मंज़र। ऐसा ही एक महाविनाश इतिहास में घटित हुआ था। एक ही प्राकृतिक आपदा ने उस दिन धरती से लगभग दस लाख ज़िंदगियां छीन लीं।

इस तबाही के नुकसान के बारे में सोचते समय, यह याद रखना ज़रूरी है कि यह तब हुआ जब दुनिया की आबादी आज की आबादी का लगभग 5% ही थी। अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उस तबाही का दायरा कितना बड़ा रहा होगा।

23 जनवरी, 1556 को चीन के शान्शी प्रांत में आया भूकंप ही वह महाविनाशकारी आपदा थी। रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता वाला यह भूकंप इतिहास का सबसे घातक भूकंप माना जाता है, जिसमें 830,000 लोग मारे गए थे।

उस दिन दुनिया ने व्यापक तबाही देखी। शान्शी प्रांत की इमारतें, घर और पूरे शहर तबाह हो गए। उस दिन हुए जान-माल के नुकसान के अलावा, अकाल, बीमारी और सामाजिक अशांति जैसे दीर्घकालिक परिणाम भी इस आपदा के बाद देखने को मिले।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह दुर्भाग्यपूर्ण तारीख इतिहास के किसी भी अन्य दिन की तुलना में सबसे ज़्यादा मानव जीवन के नुकसान का गवाह बना। इन मौतों में से ज़्यादातर उत्तर-पश्चिमी चीन के शान्शी प्रांत में हुईं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी इतिहास के इस सबसे विनाशकारी भूकंप को जियाजिंग भूकंप भी कहा जाता है।

मिंग राजवंश के जियाजिंग सम्राट के शासनकाल के दौरान यह भूकंप आया था, इसलिए इसे इस नाम से जाना जाता है। आज के शान्शी, हेनान और गांसु प्रांतों में एक साथ आए इस भयानक भूकंप के झटके दक्षिणी तट तक महसूस किए गए थे।

जियाजिंग भूकंप का सबसे भयावह पहलू 830,000 से ज़्यादा लोगों की मौत थी, अगर यह सही है, तो यह इतिहास का सबसे घातक भूकंप होगा। यह भूकंप पहले से ही संघर्ष कर रहे मिंग राजवंश के लिए बहुत बड़ा झटका था।

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)