सार

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अलावा बलूच लोगों(Baloch people) पर भी टॉर्चर बढ़ता जा रहा है। यह वीडियो कराची पुलिस की बर्बरता का दिखाता है। 13 जून को दो बलूच छात्रों के कथित किडनैप के विरोध में सिंध विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे बलूच लोगों पर पुलिस ने जमकर डंडे बरसाए। उन्हें घसीटते हुए अपने साथ ले गए। शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहीं महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा गया। जानिए पूरा मामला...
 

कराची. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ बलूच लोगों(Baloch people) को भी बुरी तरह प्रताड़ित किया जा रहा है। यह वीडियो कराची पुलिस की बर्बरता का दिखाता है। 13 जून को दो बलूच छात्रों के कथित किडनैप के विरोध में सिंध विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे बलूच लोगों पर पुलिस ने जमकर डंडे बरसाए। उन्हें घसीटते हुए अपने साथ ले गई। शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहीं महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा गया। बता दें कि पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक बलूचिस्तान में रहने वाले लोगों को बलूची कहा जाता है। यह बलूचिस्तान भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़ा प्रांत है। लेकिन यहां की आबाद बहुत कम है। इसकी राजधानी क्वेटा(Quetta) है। बलूच लोग पाकिस्तान सेना और सरकार पर उनके दमन का आरोप लगाते रहे हैं। इन छात्रों को भी किसी आतंकवादी मामले में संदिग्ध माना जा रहा है।

दो छात्रों के किडनैप का आरोप
बलूच लोगों का आरोप है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों(law enforcement agencies) ने कराची यूनिवर्सिटी(KU) में पढ़ने वाले दो बलूच छात्रों डोडा बलूच और गमशाद बलूच का किडनैप कर लिया है। इनकी किडनैपिंग 7 जून को गुलशन-ए-इकबाल में मस्कान चौरंगी के पास उनके घर से हुई थी। तब से इनका कोई पता नहीं है। इनकी की रिहाई या जानकारी के लिए महिला और पुरुष प्रदर्शनकारी सिंध विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। तभी सोमवार रात पुलिस ने उन्हें मारते-पीटते हुए गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि महिलाओं सहित 28 प्रदर्शनकारियों को पीटते हुए हिरासत में ले लिया गया। हालांकि दक्षिण-SSP असद रजा ने लोकल मीडिया डॉन को बताया कि पुलिस ने सोमवार को विधानसभा भवन में घुसने की कोशिश कर रहे 19 पुरुषों और 9 महिलाओं को हिरासत में लिया। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि प्रदर्शनकारियों के साथ बुरा व्यवहार किया गया। SSP ने कहा कि महिला पुलिस ने महिला प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।

4 दिन से कराची प्रेस क्लब के बाहर कैम्प डाले बैठे थे बलूची
जिन छात्रों के किडनैप होने का आरोप है, उनके रिश्तेदारों और दूसरे लोग सामाजिक संगठनों के सदस्यों के साथ पिछले चार दिनों से कराची प्रेस क्लब (केपीसी) के बाहर एक कैम्प लगाकर बैठे हुए थे। रविवार की रात वे सिंध विधानसभा के मेन गेट तक पहुंचने में सफल रहे, जहां उन्होंने लापता छात्रों की रिहाई के लिए धरना दिया। पहले पुलिस और जिला प्रशासन ने उनके साथ बातचीत की। उन्हें जगह खाली करने के लिए राजी किया, क्योंकि सिंध विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को होने वाला था। जब बात नहीं बनी, तो पुलिस ने बल प्रयोग किया। आरोप है कि महिलाओं और बच्चों के साथ बदसलूकी की गई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सिंध पुलिस आतंकवाद निरोधी विभाग(Counter Terrorism Department) के अधिकारियों के साथ लापता छात्रों के रिश्तेदारों की बैठक की व्यवस्था करने के अपने वादे से मुकर गई। तब वे सिंध विधानसभा भवन के पास धरने पर बैठे।

पुलिस की बर्बरता की आलोचना
इससे पहले सोशल एक्टिविस्ट सीमा दीन बलूच, अब्दुल वहाब बलूच, आमना बलूच, नगमा शेख और अन्य सहित विभिन्न संगठनों के सदस्यों सहित लगभग 120-130 लोगों और छात्रों के रिश्तेदारों ने केपीसी से विधानसभा भवन की ओर अपना मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों से बात करते हुए सीमा ने कहा कि छात्रों को ले जाना शिक्षण संस्थानों की चरित्र हनन के बराबर है। डोडा और गमशाद छात्र थे, लेकिन उन्हें ले जाया गया, क्योंकि उनका बलूच होना एक अपराध था। अगर वे बलूच नहीं होते, तो उन्हें नहीं ले जाया जाता। सीमा ने कराची के प्रशासक मुर्तजा वहाब से दोनों छात्रों को बरामद करने का आग्रह किया। उन्होंने घोषणा की कि प्रदर्शनकारी लापता छात्रों की रिहाई तक विधानसभा के बाहर अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।  शेख ने आरोप लगाया कि बलूच समुदाय के लोगों को क्वेटा, पंजगुर और कराची से ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर दो लापता बलूच छोड़े जाते हैं, तो बदले में, 10 अन्य को वहां से भगा दिया जाता है। पीपीपी महासचिव फरहतुल्ला बाबर ने पुलिस के बल के प्रयोग और महिलाओं की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार बेहद परेशान करने वाला है। 

इस बीच, सोशल मीडिया पर साझा किए गए फुटेज में पुलिस को प्रदर्शनकारियों के साथ बुरा व्यवहार करते और उन्हें तितर-बितर करते हुए दिखाया गया है।
 

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