Taliban Executions 2025: तालिबान ने खोस्त में 80,000 की भीड़ के सामने एक 13 साल के लड़के से दोषी हत्यारे को गोली मरवाई। फोन बैन, बंद स्टेडियम और क़िसास की सज़ा ने दुनिया को चौंका दिया है-UN ने इसे क्रूर और अमानवीय बताया।

नई दिल्ली। अफगानिस्तान से आई यह खबर जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही डर पैदा करने वाली भी। तालिबान ने पिछले हफ्ते पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में एक ऐसी सार्वजनिक फांसी दी, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। हजारों की भीड़ के सामने, एक 13 साल के लड़के को एक आरोपी हत्यारे को गोली मारने के लिए मजबूर किया गया। रिपोर्ट्स में दावा है कि इस फांसी को देखने के लिए करीब 80,000 लोग स्टेडियम में जमा हुए थे। द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना सिर्फ एक फांसी नहीं, बल्कि एक ऐसा ‘तमाशा’ था, जिसे तालिबान ने अपनी ताकत दिखाने और जनता में डर फैलाने के लिए इस्तेमाल किया। क्या यह न्याय था या सिर्फ तालिबान का क्रूर शासन का प्रदर्शन? UN ने इस पूरे कार्यक्रम को अमानवीय और क्रूर प्रथा बताया है। दुनिया के सामने अब यह सवाल खड़ा है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन किस दिशा में जा रहा है?

क़िसास की सज़ा: बदले की आग या शरिया की मजबूरी?

तालिबान की सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह फांसी ‘क़िसास’ के सिद्धांत के तहत दी गई। ‘क़िसास’ का मतलब होता है-आंख के बदले आंख, यानी जैसा अपराध, वैसी ही सज़ा। दोषी मंगल पर आरोप था कि उसने टीनएजर के 13 रिश्तेदारों की हत्या की थी। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। अदालत के मुताबिक:

  • पीड़ित परिवार को माफ़ करने का विकल्प दिया गया था
  • माफ़ी देने पर दोषी की जान बच सकती थी
  • लेकिन परिवार ने क़िसास की मांग की

इसके बाद तालिबान ने उसी टीनएजर के हाथों आरोपी को गोली मरवाई। सवाल ये उठता है-क्या सच में एक बच्चा इस तरह की हिंसक प्रक्रिया से गुजरने के लिए तैयार हो सकता है? या यह भी तालिबान का दबाव था?

स्टेडियम में फोन बैन-आखिर तालिबान क्या छुपाना चाहता था?

कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि:

  • लोगों को स्टेडियम में फोन ले जाने से रोक दिया गया
  • वीडियो रिकॉर्डिंग पूरी तरह प्रतिबंधित थी
  • लेकिन बाहर से रिकॉर्ड किए कुछ वीडियो वायरल हुए

इन वीडियो में हज़ारों लोगों की भीड़ दिखाई देती है, जो इस फांसी को देखने आई थी। यह दृश्य कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया-क्या तालिबान इस ‘फांसी शो’ को धीरे-धीरे एक आम प्रथा बनाना चाहता है?

क्या अफगानिस्तान में क्रूरता फिर से सामान्य हो रही है?

2021 में US और NATO सेनाओं के हटने के बाद से तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया। इसके बाद से:

  • महिलाओं और लड़कियों के स्कूल और यूनिवर्सिटी में जाने पर रोक
  • नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग खत्म
  • पब्लिक पनिशमेंट-फांसी, हाथ-पैर काटना, कोड़े मारना-फिर से लागू

पिछले दो सालों में यह कम से कम 11वीं पब्लिक फांसी है। इससे संकेत मिलता है कि तालिबान धीरे-धीरे अपनी पुरानी कठोर नीति की ओर लौट रहा है।